धान की फसल नष्ट होने के बाद अब रबी की बोआई पर संकट

अभी पिछले माह नष्ट हुई धान की फसल के गम से किसान।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 05:17 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 05:17 PM (IST)
धान की फसल नष्ट होने के बाद अब रबी की बोआई पर संकट
धान की फसल नष्ट होने के बाद अब रबी की बोआई पर संकट

जागरण संवाददाता, लौवाडीह (गाजीपुर) : अभी पिछले माह नष्ट हुई धान की फसल के गम से किसान उबरे नहीं थे कि एक बार फिर मंगई नदी के उफान ने रबी की बोआई को संकट में डाल दिया है। मंगई का पानी बलिया के इलाके में लगे मछली पकड़ने के जाल के कारण बाधित है। इससे करइल इलाके के लौवाडीह, जोगामुसाहिब, सियाड़ी, राजापुर, परसा, खेमपुर, सोनवानी, सरदरपुर समेत अधिकांश गांव की लगभग 15 हजार बीघे समेत उपजाऊ खेतो में पानी जमा है। यदि जाल हटवाने का कार्य नहीं किया गया तो रबी की बोआई नहीं हो पाएगी। इससे किसानों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। ज्ञात हो कि जाल लगाने की समस्या केवल इस वर्ष की नहीं है। हर वर्ष जाल महेंद से लेकर बलिया जिले तक मंगई नदी में लगा दिया जाता है। हालांकि इस वर्ष पुलिस कार्रवाई के डर से महेंद में अभी तक जाल नहीं लगा है, लेकिन बलिया जिले में लगे जाल से पानी का प्रवाह रुक गया है। इस मामले में प्रशासन भी असहाय नजर आता है, क्योंकि जाल से मछली मारने का धंधा है जिसमें प्रतिदिन लाखों रुपये की कमाई होती है और बड़े-बड़े सफेदपोश इसमें शामिल हैं। एक जाल लगाने में लगभग अस्सी हजार रुपये लगते हैं। नदी में बालू भरे बोरी से दीवार खड़ी कर दी जाती है। इसके ऊपर जाल लगा दिया जाता है जो काफी मजबूत होता है। 2019 में जागरण ने अभियान चलाया जिस पर प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए जाल हटवाया। वहीं 2021 में किसान और और भाजपा के भांवरकोल मंडल के पदाधिकारियों ने गांव गांव जाकर प्रशासन की मदद से जाल हटवाने का कार्य किया। इस कार्य में कई जगह उन पर ईट पत्थरों से हमले किए गए। एक बार फिर वही समस्या इस वर्ष भी हो गई है। अब रबी की बोआई शुरू होने में मात्र कुछ समय बचा है। यदि एक सप्ताह तक पानी नहीं घटा तो रबी की बोआई संभव नहंी हो पाएगी क्योंकि पानी के सूखने में लगभग एक महीना लग जाता है। पिछले वर्ष आधे से अधिक खेतों की बोआई नहीं हो पाई थी।

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