जागरुकता के अभाव में बेधड़क जला रहे फसल अवशेष
रोक के बावजूद क्षेत्र में फसलों के अवशेष बेरोक-टोक जलाए जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, गहमर (गाजीपुर) : रोक के बावजूद क्षेत्र में फसलों के अवशेष बेरोक-टोक जलाए जा रहे हैं। जागरुकता के अभाव में किसान इसके नुकसान से अनजान हैं। प्रशासनिक अधिकारी कागजों में आदेश जारी कर खानापूर्ति में लगे हुए हैं। इसकी पुष्टि किसान खुद कर रहे हैं। किसानों को यह नहीं मालूम कि फसल डंठल जलाए जाने से पर्यावरण व खेत की मिट्टी पर कितना दुष्प्रभाव पड़ता है। क्षेत्र में फसलों के अवशेष जलाने की समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर रूप धारण करती जा रही है। गेहूं, धान व गन्ना फसलों की कटाई के बाद बचने वाले फसल अवशेष को किसान खेतों में ही फूंक दे रहे हैं। शासन ने खेतों में फसल अवशेष जलाए जाने को अपराध की श्रेणी में घोषित कर रखा है। इसके लिए दोषी पर मुकदमा दर्ज करने के साथ जुर्माने का प्रावधान भी है। इसके बाद भी खेतों में ही फसल के डंठल और पत्तियां जला देने की किसानों की प्रवृत्ति पर रोक नहीं लग रही है। कंबाइन मशीन से धान की फसल काटने के बाद भी किसान बचे हुए डंठल खेतों में ही फूंक दे रहे हैं। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति में कमी हो रही है। वहीं, धुएं से हवा के जहरीली होने का खतरा भी बढ़ गया है। कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी लिए अधिकारी भी खेत में फसल अवशेष जलता देख सड़क से गुजर जाते हैं। खरीफ सीजन में धान की फसल की कटाई शुरू होने के साथ एक पखवाड़े से क्षेत्र के गहमर करहिया, बकैनिया, मनिया, पचौरी व सायर में चारों ओर खेतों में आग की उठती लपटें व धुएं का गुबार प्रशासन के रोक के दावे का सच बताने के लिए काफी है। दो दिन पूर्व ही पराली जलाने वाले पकड़ी गांव के 16 किसानों के खिलाफ क्षेत्रीय लेखपाल की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था।