सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम के इंतजाम जीरो
जागरण संवाददाता गाजियाबाद अंग्रेजों के शासन काल में स्थापित सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम न कि
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: अंग्रेजों के शासन काल में स्थापित सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम न किए जाने के नियम से केंद्र सरकार ने बेशक मुक्ति दिला दी हो लेकिन गाजियाबाद में यह आदेश अभी भी अधिकारियों की फाइलों में ही घूम रहा है। रात में शवों का पोस्टमार्टम कराने के इंतजाम जीरो हैं। हिडन मोक्ष स्थल के पास बनाए गए नए भवन का उद्घाटन 8 नवंबर 2014 को किया गया था। बिजली, पानी, सुरक्षा आदेश जारी होने के दो दिन बाद भी अधिकारियों ने पोस्टमार्टम हाउस का दौरा करना तक मुनासिब नहीं समझा है। पड़ताल में पता चला है कि दिन में हो रहे शवों का मुख्य रूप से पोस्टमार्टम दो सफाई कर्मचारियों विनोद और मोनू द्वारा ही किया जाता है। ड्यूटी पर कार्यरत चिकित्सक संजय गुप्ता और फार्मासिस्ट दीपक चतुर्वेदी बाहर कुर्सी पर बैठकर सफाई कर्मचारी के बताने पर एक-एक बिदु की पीएम रिपोर्ट बनाते दिखे। दो दिनों में 12 शवों के पांच बजे तक पोस्टमार्टम किए गए हैं। बुधवार को डीप फ्रीजर को ठीक करने जरूर एक टेक्नीशियन पहुंचा।
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चिकित्सकों का टोटा इमरजेंसी और ओपीडी के लिए चिकित्सकों का भारी टोटा है ऐसे में पोस्टमार्टम के लिए अतिरिक्त चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं। पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच तालमेल के अभाव में केंद्र सरकार के आदेश का पहले और दूसरे दिन अनुपालन नहीं किया गया है।
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पोस्टमार्टम हाउस का हाल
- पोस्टमार्टम हाउस पर विनोद और मोनू दो सफाई कर्मचारी हैं।
- दोनों ही शवों का मुख्य पोस्टमार्टम करते हैं। रात को सोते भी वहीं है।
- चिकित्सक और फार्मासिस्ट बाहर कुर्सी पर बैठकर रिपोर्ट बनाते हैं।
- रोज 5 से 15 शवों का पोस्टमार्टम होता है।
- लगाए गए आठ डीप फ्रीजर खराब पड़े हैं।
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पोस्टमार्टम हाउस को अत्याधुनिक संसाधनों से लैस करने का प्रस्ताव बनाया जा रहा है। डीफ फ्रीजरों को ठीक कराते हुए संख्या बढ़ाने की तैयारी है। कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखकर कुछ शवों का पोस्टमार्टम डीएम की अनुमति के बाद वर्तमान में भी होता है। सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम कराने को लेकर शासन से सुझाव मांगा गया है।
- डा. भवतोष शंखधर ,सीएमओ