किसानों की चेहरे पर फिर चिता की लकीरें
जागरण संवाददाता मुरादनगर गेहूं कटाई के बीच बदले मौसम ने किसानों की चिता फिर बढ़ा
जागरण संवाददाता, मुरादनगर:
गेहूं कटाई के बीच बदले मौसम ने किसानों की चिता फिर बढ़ा दी। बूंदाबांदी के कारण गेहूं की कटाई का काम बीच में ही अवरूद्ध हो गया। यदि बूंदाबांदी बारिश में तब्दील हुई तो निश्चित ही गेहूं का दाना काला पड़ जाएगा। वहीं, धूलभरी आंधी से आम जनमानस को खासी परेशानी हुई। इससे लोगों की आंखों में धूल भर गई। दोपहिया वाहन चालक इसमें सबसे ज्यादा परेशान हुए।
इस बार किसानों के हिसाब से मौसम का रूख कुछ ज्यादा प्रतिकूल रहा है। समय से पहले गर्मी आने से गेहूं और सरसों का विकास सही से नहीं हो सका। बीच-बीच में मौसम ऐसे समय बिगड़ा जब किसानों के लिए मामूली बूंदाबांदी भी नुकसानदेह थी। मार्च के अंत में एक सप्ताह तक गर्म हवा चली, जिसने गेहूं को तीन सप्ताह पहले ही पकाव पर ला दिया। इससे गेहूं का दाना जीरे जैसा रह गया। पछेती फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। जैसे तैसे किसानों ने कटाई शुरू कर दी। उस समय भी एक दिन के लिए मौसम ऐसे ही बदला और किसानों की बेचैनी बढ़ा गया। अगले दिन धूप खिली तो किसानों ने अपना काम जारी कर दिया। इस समय गेहूं की भरपूर कटाई चल रही थी। शुक्रवार दोपहर तक किसानों की कटाई का काम चला। मशीनें भी गेहूं निकालने के लिए लगी थीं। लेकिन तीन बजे के बाद मौसम ने करवट ली और धूलभरी आंधी चल गई। आसमान में बादल छाने के साथ सवा छह बजे के आसपास बूंदाबांदी भी शुरू हो गई। इससे गेहूं की कटाई और निकलाई का काम किसानों को तुरंत रोकना पड़ा। जिन किसानों के खेत नीचे थे, उनके खेतों में उंचाई खेत वाले किसानों की गेहूं की पूलियां उड़कर चली गई। कुछ किसानों की इस बात को लेकर आपस में कहासुनी की घटनाएं भी हुई। ऐसी स्थिति के बीच आसमान की ओर देखकर किसान भगवान से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि भगवान अब खैर करना। किसी तरह बारिश न हो और मौसम साफ हो जाए। ताकि कटाई का काम दोबारा से शुरू हो। नूरपुर गांव निवासी प्रगतिशील किसान टेमपाल चौधरी का कहना है कि इस समय की बारिश किसानों की बर्बादी का कारण बनेगी। इस बार मौसम किसानों पर कहर ढा रहा है। इस बारे में वरिष्ठ कृषि विज्ञानी डा. अरविद यादव का कहना है कि बूंदाबांदी और बारिश से किसानों को नुकसान होगा। पानी के संपर्क में गेहूं का दाना काला पड़ जाएगा। काले दाने का मंडी भी भाव सही नहीं मिल पाता।