भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में हरनंदी के जीर्णोद्धार को कराएंगे शामिल: अतुल गर्ग
जागरण संवाददाता गाजियाबाद दैनिक जागरण ने हरनंदी नदी को बचाने के लिए अभियान चलाया है। नदी का जीर्णोद्धार कराने के लिए जरूरी है कि इसकी सफाई उद्गम स्थल सहारनपुर से लेकर गौतमबुद्धनगर तक की जाए। इसलिए इस बार भाजपा यूपी विधानसभा चुनाव-2022 के अपने चुनावी घोषणा-पत्र में पतित पावनी गंगा की सहायक नदी यमुना और हरनंदी का जीर्णोद्धार करना भी शामिल करेगी। यह बातें बुधवार को स्वास्थ्य राज्यमंत्री और गाजियाबाद में शहर विधानसभा सीट से विधायक अतुल गर्ग ने दैनिक जागरण संवाददाता से वार्ता के दौरान कही है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: दैनिक जागरण ने हरनंदी नदी को बचाने के लिए अभियान चलाया है। नदी का जीर्णोद्धार कराने के लिए जरूरी है कि इसकी सफाई उद्गम स्थल सहारनपुर से लेकर गौतमबुद्धनगर तक की जाए। इसलिए इस बार भाजपा यूपी विधानसभा चुनाव-2022 के अपने चुनावी घोषणा-पत्र में पतित पावनी गंगा की सहायक नदी यमुना और हरनंदी का जीर्णोद्धार करना भी शामिल करेगी। यह बातें बुधवार को स्वास्थ्य राज्यमंत्री और गाजियाबाद में शहर विधानसभा सीट से विधायक अतुल गर्ग ने दैनिक जागरण संवाददाता से वार्ता के दौरान कही है।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार जैसे गंगा नदी की सफाई पर विशेष ध्यान दे रही है, वैसे ही हरनंदी नदी की सफाई पर भी ध्यान दिया जाएगा। चुनावी एजेंडा में इसे शामिल कराने के लिए मजबूत पैरवी करेंगे। हरंनदी नदी के जीर्णोद्धार से एक तरफ जहां भूगर्भ जलस्तर में आ रही कमी को रोका जा सकेगा, तो दूसरी तरफ जिस जिले से यह नदी होकर गुजर रही है, वहां पर लोगों को पेयजल की दिक्कत नहीं होगी। नदी में न बहने दें दूषित पानी : आशा शर्मा शहर की प्रथम नागरिक महापौर आशा शर्मा का कहना है कि हरनंदी नदी को बचाने के लिए जरूरी है कि उसमें औद्योगिक इकाइयों के दूषित पानी और सीवेज को बहने से रोका जाए। इसके लिए उद्यमियों और लोगों को एकजुट होकर कदम उठाना होगा। नगर निगम यह सुनिश्चित करेगा कि हरनंदी नदी में दूषित पानी न बहाया जाए। इस पर सख्ती से रोक लगेगी। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को भी सख्त होना चाहिए, ताकि हरनंदी नदी के पानी को दूषित होने से बचाया जा सके। जैविक खेती के लिए करेंगे जागरूक : डा.जितेंद्र नागर पर्यावरणविद डा. जितेंद्र नागर का कहना है कि औद्योगिक इकाइयों और सीवर का दूषित पानी नदी में प्रवाहित होने से रोकने का कार्य होना चाहिए। साथ ही नदी के किनारे खेती करने वाले लोगों को उनकी संस्था एनवायरमेंट एंड सोशल डेवलपमेंट एसोसिएशन की ओर से जैविक खेती के लिए जागरूक किया जाएगा। नदी किनारे बने गांव में जो जलस्रोत हैं, उनके संरक्षण के लिए कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए जल्द ही सर्वे भी करवाएंगे।