सुन्न हो जाता है अंगूठा पर सुई लगाना जारी
मदन पांचाल गाजियाबाद कोरोना की पहली लहर में घर-घर जाकर कोरोना संदिग्धों को ट्रेस कर
मदन पांचाल, गाजियाबाद
कोरोना की पहली लहर में घर-घर जाकर कोरोना संदिग्धों को ट्रेस करने और उनको पर्याप्त चिकित्सकीय सहायता पहुंचाने वाली पिकी को दूसरी लहर का भी कोई खौफ नहीं है। निडर होकर वह लोगों की जान बचाने की खातिर कोरोनारोधी टीका लगा रही हैं। 16 जनवरी से लेकर अब तक वह बीस हजार से अधिक लोगों को टीका लगा चुकी हैं। वह बताती हैं कि सुई लगाते-लगाते उनका अंगूठा खराब हो गया है। एक घंटे बाद ही अंगूठा सुन्न हो जाता है। कंधे में दर्द है। अंगुलियां भी साइलेंट होने लगी हैं लेकिन फिर वह लगातार टीका लगा रही हैं। संयुक्त अस्पताल में स्थापित टीकाकरण केंद्र पर तैनात स्टाफ नर्स पिकी चौधरी अब तक प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग समेत दो सौ से अधिक वीआइपी को भी टीका लगा चुकी हैं। नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राजनगर में पिकी की पोस्टिग है। अप्रैल 2020 में उनकी ड्यूटी कांटेक्ट ट्रेसिग एवं बुखार के मरीजों की जांच कराने के लिए लगाई गई। अप्रैल से लेकर नवंबर 2020 तक पिकी ने 3,258 कोरोना संदिग्धों की जांच कराई तो 832 संक्रमित ट्रेस कर दिए। सभी को कोविड अस्पतालों में भर्ती भी करवाया। सीएमओ एवं केंद्र प्रभारी उनकी ड्यूटी को लेकर बेहद खुश रहते हैं।
------
मां ने शादी की तो सास ने पढ़ाई कराई
मूल रूप से बाबरपुर शाहदरा की रहने वाली पिकी की शादी वर्ष 2006 में मुरादनगर के गांव मिलक चाकरपुर निवासी विकास के संग हो गई। उसकी सास मिथलेश ने पिकी को नर्सिंग का कोर्स सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ से कराया। इसकी पूरी फीस करीब सवा लाख रुपये भी सास ने ही बहू पिकी को दी। पिकी अपनी सास एवं ससुर सुखवीर की खूब सेवा करती है। पिकी की बेटी आकांक्षा और बेटा संस्कार की देखभाल उसके सास-ससुर ही करते हैं। पिकी के पति निजी कंपनी में कार्यरत हैं। वह छह साल से स्वास्थ्य विभाग में स्टाफ नर्स के रूप में कार्यरत हैं।
-----
मरीजों का उपचार और काउंसिलिग करने में अव्वल
स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाले मरीजों का उपचार करने में वह कतई पीछे नहीं हटती है। महिला एवं पुरुषों को पर्याप्त दवाएं भी देती हैं। कोविड के तहत गंभीर रूप से बीमार लोगों की वह घर-घर जाकर काउंसिलिग भी करती हैं। आसपास की झुग्गियों में रहने वाले लोगों की जांच करने वह खुद ही जाती हैं। गर्भवती महिलाओं की निगरानी करना उसकी आदत बन गई है। डिलीवरी के समय महिलाओं को जिला महिला अस्पताल तक पहुंचवाती हैं।