हाथ उठाकर जिला परिषद सदस्य चुने गए थे त्रिलोकचंद
मदन पांचाल गाजियाबाद दस हजार की आबादी वाले लोनी के गांव चिरौड़ी की पैठ दूर-दूर तक सुर्खि
मदन पांचाल, गाजियाबाद
दस हजार की आबादी वाले लोनी के गांव चिरौड़ी की पैठ दूर-दूर तक सुर्खियों में रहती है। प्रत्येक रविवार को लगने वाली पैठ में आने वाले लोगों की सेवा करते-करते गांव के बाबा त्रिलोकचंद आसपास के दो दर्जन गांवों के लोगों के दिलों पर इस कदर राज करने लगे कि जिला परिषद का चुनाव आने पर उनके पक्ष में अनेक प्रधान एवं बीडीसी सदस्य खड़े हो गए। इसका असर यह हुआ कि ग्राम प्रधान रहते हुए वह निर्विरोध सदस्य चुन लिए गए। वर्ष 1989 में पहली बार उनके नाम को लेकर हुई पंचायत में वार्ड में आने वाले गांवों के प्रधान एवं बीडीसी सदस्यों को बुलाया गया। उनके समर्थन में केवल हाथ खड़े करवाए गए। परिणाम यह हुआ कि अधिकांश ने हाथ खड़े कर दिए। कुछ लोगों ने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार राजेश के समर्थन में भी हाथ खड़े किए। गिनती में राजेश के पक्ष में खड़े होने वाले हाथ कम रह गए। त्रिलोकचंद को विजयी घोषित कर दिया गया। प्रशासन भी इस चुनाव से बेहद खुश हुआ। सिलसिला आगे बढ़ा तो बाबा त्रिलोकचंद 1995 से लेकर 2005 तक दो बार गांव के प्रधान भी चुने गए। दो बार गांव की प्रधानी उधम सिंह परिवार के पास रही। त्रिलोकचंद के बेटे नरेंद्र प्रधान की पत्नी सरला निवर्तमान प्रधान हैं। पंचायती राज व्यवस्था को लागू करने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दिल्ली बुलाकर बाबा त्रिलोकचंद का उत्साहवर्धन किया था।
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सौ से अधिक गांव आते थे वार्ड में
1980 के दशक में जिला पंचायत सदस्य की जगह जिला परिषद सदस्य का चुनाव होता था। लोनी के वार्ड 28 का सबसे बड़ा दायरा था। लोनी के अलावा कैला भट्टा, करहैडा, मिर्जापुर, पसौंडा, अर्थला, रजापुर और डूडाहेडा तक के ग्राम प्रधान और बीडीसी सदस्यों द्वारा वोट देकर जिला परिषद सदस्य का चुनाव किया जाता था। इस वार्ड में सौ से अधिक गांव आते थे। ग्राम प्रधान भी चुनाव लड़ सकते थे। मेवला निवासी जुगलकिशोर ने बताया कि चुनाव दो-चार हजार रुपये खर्च करके ही हो जाता था। यह भी गांव के लोग चंदा के जरिए एकत्र करके उम्मीदवार को देते थे।