वैशाली में फ्लैट की छत गिरी, बाल-बाल बचा परिवार

जागरण संवाददाता साहिबाबाद वैशाली सेक्टर-एक कामना में तीसरी मंजिल पर बने फ्लैट की छत मंगलवार दोपहर भरभराकर गिर गई। गनीमत यह रही कि परिवार दूसरे कमरे में था। इससे बड़ा हादसा टल गया। हालांकि घटना के बाद परिवार सहमा है। वहीं आसपास की भी इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। इनमें रहने वाले लोगों को भी हादसे का डर सता रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 Jun 2021 07:32 PM (IST) Updated:Tue, 29 Jun 2021 07:32 PM (IST)
वैशाली में फ्लैट की छत गिरी, बाल-बाल बचा परिवार
वैशाली में फ्लैट की छत गिरी, बाल-बाल बचा परिवार

जागरण संवाददाता, साहिबाबाद : वैशाली सेक्टर-एक कामना में तीसरी मंजिल पर बने फ्लैट की छत मंगलवार दोपहर भरभराकर गिर गई। गनीमत यह रही कि परिवार दूसरे कमरे में था। इससे बड़ा हादसा टल गया। हालांकि घटना के बाद परिवार सहमा है। वहीं आसपास की भी इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। इनमें रहने वाले लोगों को भी हादसे का डर सता रहा है।

बसंत बल्लभ पांडेय वैशाली सेक्टर-एक कामना जनता फ्लैट में तीसरी मंजिल पर फ्लैट नंबर-166 सी में पत्नी माया पांडेय व दो बेटों के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को उनके फ्लैट के आगे के कमरे की छत से प्लास्टर छूटकर गिर रहा था। ऐसे में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण सामान दूसरे कमरे में रख दिया था। मंगलवार दोपहर करीब साढ़े 12 बजे कमरे की छत भरभराकर गिर गई। बसंत पत्नी व बच्चों के साथ अंदर के कमरे में थे। वह बाहर नहीं निकल सके। वह पत्नी व बच्चों को लेकर बालकनी में भागे। जब छत गिर गई तो वह परिवार के साथ प्लैट से बाहर आए। इसके बाद मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई। सूचना पर जीडीए अधिकारियों को हादसे से अवगत कराया।

अधिकारी आए देख के चले गए : पीड़ित बसंत का कहना है कि हादसे के बाद जीडीए के जेई समेत अन्य अधिकारी उनके घर पहुंचे। अधिकारियों ने फोटो खींची, हादसे की जानकारी ली और चले गए। किसी ने छत बनवाने के लिए नहीं कहा। बचे हुए कमरे की भी छत गिर सकती है। अब परिवार के साथ किराए के कमरे में रहना पड़ेगा। जब पैसा होगा तो छत बनवाएंगे।

1989 में बनी थी कालोनी : स्थानीय लोगों का कहना है कि जीडीए ने वर्ष 1989 में एक बेडरूम वाले फ्लैट बनाए। इसे कामना नाम दिया गया। 31 साल में ही इमारतें जर्जर हो गईं। आरोप है कि इमारतों के निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग हुआ था। अन्य फ्लैट जर्जर होने से लोग सहमे हैं। वर्जन.. लोग बोले.. वर्ष 2018 में एक-एक पाई जोड़कर फ्लैट खरीदा था। मंगलवार को छत गिर गई। आशियाना उजड़ गया। हादसे के दौरान परिवार सहम गया। अब कहां रहें, इसकी चिंता सता रही है।

-माया पांडेय महज 31 साल में ही फ्लैट जर्जर हो गए व छत गिरने लगी। जीडीए ने इमारतों के निर्माण में सही सामग्री का उपयोग नहीं किया था। अब इस हादसे के बाद हजारों लोगों की सुरक्षा पर खतरा है।

- पुष्पा स्थानीय निवासी

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बयान :

आवंटन के बाद फ्लैट के रखरखाव की जिम्मेदारी आवंटी की होती है। जीडीए फ्लैटों के मरम्मत नहीं कराता है। फ्लैट में रहने वाले सभी लोग समय-समय पर मरम्मत कार्य कराएं।

- एके चौधरी, अधिशासी अभियंता, जीडीए

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