पंचायत चुनाव होने के साथ कुंद पड़ने लगी प्रदर्शन की रफ्तार

जागरण संवाददाता साहिबाबाद तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर नवंबर 2021 से भा

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 07:34 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 07:34 PM (IST)
पंचायत चुनाव होने के साथ कुंद पड़ने लगी प्रदर्शन की रफ्तार
पंचायत चुनाव होने के साथ कुंद पड़ने लगी प्रदर्शन की रफ्तार

जागरण संवाददाता, साहिबाबाद

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर नवंबर 2021 से भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के बैनर तले धरना शुरू हुआ। धरना स्थल पर हजारों की भीड़ भी जुटी, जिसमें पंचायत चुनाव के संभावित प्रत्याशियों ने अपने लाव-लश्कर लेकर एड़ी-चोटी का पूरा जोर लगाया। पंचायत चुनाव के साथ ही धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों की संख्या रोजाना कम हो रही है। आलम यह है कि मंच खाली है, पंडाल और टेंट सूने पड़े हैं और दूर तक सन्नाटा पसरा है।

नए कृषि कानूनों के विरोध में कई संगठनों ने साथ मिलकर नवंबर 2021 में दिल्ली चलने का आह्वान किया था। शासन-प्रशासन की ओर से दिल्ली की व्यवस्था बिगड़ने से बचाने के लिए प्रदर्शनकारियों को उत्तर प्रदेश व हरियाणा के बार्डर पर ही रोक दिया था। सरकार ने प्रदर्शनरत विभिन्न संगठनों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से उनकी मांगों को लेकर बातचीत का दौर शुरू किया। कई दौर तक चली बातचीत में कुछ संगठन के लोग राजी हुए तो कुछ अड़े रहे। बातचीत का दौर बेनतीजा खत्म हुआ। इस बीच पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही संभावित प्रत्याशी भी प्रदर्शन में शामिल होने के लिए न सिर्फ खुद पहुंचे बल्कि समर्थकों की भीड़ के साथ ट्राली और गाड़ियों में राशन लेकर आने लगे। उन्हें लगा कि प्रदर्शन की सीढ़ी के सहारे ही वह गांव में बनने वाली सरकार की कुर्सी तक का रास्ता तय करेंगे। इसमें उन्होंने अपने खर्च पर समर्थकों की भीड़ यूपी गेट तक लाने में जान झोंक दी। मकसद एक ही था कि यूपी गेट में प्रदर्शन की सहानुभूति बटोरकर गांव में अपनी सरकार बनाई जाए। अब जैसे ही पंचायत चुनाव संपन्न होने लगे तो यहां प्रदर्शनकारियों की संख्या भी घट गई। मंच दिन भर सूना है तो सामने के पंडाल में भी लगे कूलर और पंखों के नीचे चंद लोग सोकर वक्त बिता रहे हैं। टेंट व धरना स्थल पूरी तरह सन्नाटा छाया है। भूख हड़ताल पर बैठने वालों के लाले

यूपी गेट धरना स्थल के मंच पर पिछले काफी समय से 10 लोग प्रतिदिन एक दिन की भूख हड़ताल पर बैठे नजर आते थे। मंच का संचालन चलता रहता था, लेकिन अब कई दिनों से भूख हड़ताल पर बैठने के लिए कोई एक व्यक्ति भी मंच पर नजर नहीं आ रहा है। मंच एकदम से खाली नजर आता है।

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