आधी रात को उखाड़ना पड़ा उद्घाटन का पत्थर

आधी रात को उखाड़ना पड़ा उद्घाटन का पत्थर कोरोना जांच के लिए एमएमजी अस्पताल में बनाई गइ

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 08:20 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 08:20 PM (IST)
आधी रात को उखाड़ना पड़ा उद्घाटन का पत्थर
आधी रात को उखाड़ना पड़ा उद्घाटन का पत्थर

आधी रात को उखाड़ना पड़ा उद्घाटन का पत्थर

कोरोना जांच के लिए एमएमजी अस्पताल में बनाई गई सरकारी लैब के चालू होने से पहले ही स्वास्थ्य विभाग के कई अफसरों की सेहत खराब हो गई है। 12 अगस्त को लैब के गेट पर 13 अगस्त को उद्घाटन किए जाने संबंधी पत्थर लगा दिया गया। पत्थर पर मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य राज्यमंत्री का नाम भी अंकित कर दिया गया। उद्घाटन को लेकर आमंत्रण पत्र तक जारी कर दिए गए। जैसे ही खबर डीएम से लेकर मुख्य सचिव तक पहुंची तो हड़कंप मच गया। दरअसल, मुख्यमंत्री का प्रोग्राम फाइनल ही नहीं हुआ था। लैब की किट न आने का बहाना बनाकर प्रशासन ने उद्घाटन का कार्यक्रम स्थगित कर दिया। उच्च अफसरों की फटकार पर आधी रात को पत्थर उखाड़ लिया गया। अब नई तिथि अंकित की जाएगी। बंगला, गाड़ी न कुर्सी चाहिए..

जिला अस्पताल एमएमजी के सीएमएस डॉ. अनुराग भार्गव कोरोना संक्रमित हो गए हैं। अस्पताल का प्रभार हृदय रोग विशेषज्ञ सुनील कात्याल को मिल गया है। प्रभार मिलते ही सीएमएस का चालक सरकारी कार लेकर डॉ. सुनील के घर सुबह-सुबह पहुंच गया। डॉक्टर बाहर निकले और गाड़ी को वापस कर दिया। सीएमएस ऑफिस में बैठने के नाम पर भी वह बच रहे हैं। चपरासी को भी घर भेज दिया है। सीएमएस के सरकारी बंगले की तरफ भी वह नहीं जा रहे हैं। सीएमएस कार्यालय की कुर्सी और फाइलों को भी वह कोरोना के डर से हाथ नहीं लगा रहे हैं। सीएमएस का मोबाइल फोन जरूर उनके पास है। उसे भी दिन में दस बार सैनिटाइज कर रहे हैं। बीमारी के चलते अवकाश पर रहने वाले उक्त चिकित्सक रोज दुआ कर रहे हैं कि सीएमएस स्वस्थ होकर लौट आएं। दरअसल इस प्रभार को वह मौका कम आफत अधिक मान रहे हैं। सर्विलांस करते-करते सर्विलांस की पड़ गई जरूरत

कोरोना संक्रमित और कांटेक्ट हिस्ट्री खंगालने के लिए सर्विलांस करते-करते जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) ज्ञानेंद्र मिश्रा और जिला सर्विलांस अधिकारी (डीएसओ) आरके यादव को ही सर्विलांस की जरूरत पड़ी तो सीएमओ को भी पुलिस अधिकारियों से सिफारिश करनी पड़ गई। हुआ यूं कि डीएमओ का महंगा मोबाइल फोन घर से एमएमजी आते वक्त कहीं गिर गया। तीन घंटे तक उन्हें इसका पता इसलिए नहीं लगा क्योंकि वह फोन बहुत कम उठाते हैं। प्रशासन के अफसरों के साथ सीएमओ ने डीएमओ को फोन करने की बात जब कही तो संपर्क नहीं हो पाया। डीएसओ को फोन लगाने पर पता चला कि उनका मोबाइल फोन गुम हो गया है। एसपी क्राइम के पास अर्जी पहुंची। फोन सर्विलांस पर लगा तो एक निजी अस्पताल के चालक के पास से फोन बरामद किया। पुलिस की एक ही कॉल पर मोबाइल फोन शाम तक मिल गया। रोग अनेक, कंट्रोल रूम एक

स्वास्थ्य विभाग के अफसर लोगों की सेहत को लेकर बेफिक्र हैं। जिले की 34 लाख की आबादी को रोगों से बचाने के लिए शहर के बीच एमएमजी अस्पताल में केवल एक ही कंट्रोल रूम बना रखा है। वह भी इन दिनों कोरोना की जांच रिपोर्ट देने का केंद्र बन गया है। शासन के निर्देश हैं कि बारिश के चलते संक्रामक रोग निवारण माह बनाया जाए। गांव और शहर की मलीन बस्तियों में मच्छर मारने वाली दवा का सुबह-शाम छिड़काव किया जाए। कंट्रोल रूम में 24 घंटे बचाव दल उपलब्ध रहना चाहिए। खुद मलेरिया विभाग की पूरी टीम कोरोना में ड्यूटी का बहाना बनाकर खामोश है। डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, टाइफाइड जैसे रोग जिले में दस्तक दे चुके हैं। एमएमजी अस्पताल की ओपीडी में ही रोज ऐसे 100 मरीज पहुंच रहे हैं। कंट्रोल रूम पर हर महीने एक नया स्टीकर चस्पा कर दिया जाता है। कंट्रोल रूम प्रभारी को डेंगू हो चुका है।

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