फिसड्डी साबित हो रहे विकास विभाग के अफसर

जागरण संवाददातामोदीनगर सूचना का अधिकार कानून आम आदमी की ताकत है। लेकिन अफसरशाह

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 05:50 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 05:50 PM (IST)
फिसड्डी साबित हो रहे विकास विभाग के अफसर
फिसड्डी साबित हो रहे विकास विभाग के अफसर

जागरण संवाददाता,मोदीनगर:

सूचना का अधिकार कानून आम आदमी की ताकत है। लेकिन, अफसरशाही शायद इसको लेकर गंभीर नहीं है। हालत यह कि सूचना के अधिकार के तहत सैकड़ों आवेदन राजस्व विभाग, सिचाई, बिजली समेत अन्य विभागों में पड़े हैं, लेकिन, संबंधित विभाग के अधिकारी इनके जवाब नहीं दे रहे हैं। सूचना देने में सबसे फिसड्डी विकास विभाग साबित हो रहा है। इसी के चलते राज्य सूचना आयुक्त ने डीपीआरओ, बीडीओ व ग्राम सचिव पर 25-25 हजार का आर्थिक दंड लगाया है। गदाना गांव के किसान मनोज नेहरा ने 2019 में गदाना गांव में हुए विकास कार्यों को लेकर डीपीआरओ से सूचना के अधिकार कानून के तहत कुछ सूचनाएं मांगी थीं। डीपीआरओ ने पहले आवेदन की कोई जानकारी नहीं दी। इसके बाद उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी के यहां प्रथम अपील की। लेकिन, इसका भी कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने राज्य सूचना आयोग में शिकायत की। राज्य सूचना आयोग ने डीपीआरओ व मुख्य विकास अधिकारी को चेतावनी दी लेकिन इसका भी उनपर कोई असर नहीं हुआ। अब राज्य सूचना आयुक्त ने पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर अधिकारियों की लापरवाही मानते हुए गाजियाबाद के डीपीआरओ रहे अनिल कुमार त्रिपाठी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। मनोज नेहरा ने बताया कि विकास विभाग, राजस्व, सिचाई, विद्युत विभाग में सालों पहले सूचना मांगने के लिए आवेदन किया था, जिनके अभी तक कोई जवाब नहीं आए। ऐसे में अधिकारी आम आदमी की ताकत को कमजोर करने में लगे हैं। ऐसे ही मोंटी मलिक ने मुरादनगर के बीडीओ रहे अजितेश कुमार से दो साल पहले कुछ सूचनाएं मांगी थी। लेकिन कई बार अपील करने के बाद भी बीडीओ ने सूचना उपलब्ध कराने की जरूरत नहीं समझी। इसी के चलते राज्य सूचना आयुक्त ने बीडीओ पर 25 हजार का जुर्माना लगाया। वहीं, सतीश पार्क के सुरेश शर्मा ने औरंगाबाद गदाना के सचिव रहे सुखपाल सिंह से विकास कार्यों को लेकर सूचनाएं मांगी थीं। उन्होंने भी कोई सूचना नहीं दी। राज्य सूचना आयुक्त की चेतावनी का भी उनपर कोई असर नहीं हुआ। इसी के चलते राज्य सूचना आयुक्त ने ग्राम सचिव पर 25 हजार का जुर्माना लगाकर रकम उनके वेतन से वसूलने के आदेश दिए हैं। इस बारे में तहसीलदार हरिप्रताप सिंह का कहना है कि सूचना के अधिकार के तहत जो भी आवेदन तहसील में आते हैं। प्रयास रहता है कि उनकी समय से सूचना उपलब्ध करा दी जाए। यदि कोई आवेदन जवाब देने से रह गया है तो उसकी जांच कर जवाब दिया जाएगा।

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