नालों से प्रदूषण हटा जलीय जीवों की जान बचाएगा देश का पहला आक्सीजनेशन सिस्टम

अभिषेक सिंह गाजियाबाद नगर निगम गाजियाबाद ने देश का पहला सोलर स्मार्ट आक्सीजनेशन सिस्टम तैया

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 07:01 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 07:01 PM (IST)
नालों से प्रदूषण हटा जलीय जीवों की जान बचाएगा देश का पहला आक्सीजनेशन सिस्टम
नालों से प्रदूषण हटा जलीय जीवों की जान बचाएगा देश का पहला आक्सीजनेशन सिस्टम

अभिषेक सिंह, गाजियाबाद: नगर निगम गाजियाबाद ने देश का पहला सोलर स्मार्ट आक्सीजनेशन सिस्टम तैयार किया है। जो नालों के पानी में आक्सीजन बढ़ाने, प्रदूषण कम करने के साथ ही जल में रहनेवाले सूक्ष्म जंतुओं और पौधों की जान बचाएगा। इस सिस्टम से हरनंदी, यमुना और गंगा नदी की स्वच्छता में भी मदद मिलेगी। क्योंकि शहर के 11 नालों का पानी हरनंदी नदी में जाता है और हरनंदी नदी यमुना में मिलती है, फिर प्रयागराज में यमुना का मिलन गंगा नहं से होता है। इसलिए पड़ी जरूरत: एनजीटी की सख्ती के बाद हाल ही में नगर निगम द्वारा बृज विहार और प्रताप विहार में नालों के पानी में घुलीय आक्सीजन की मात्रा की जांच कराई गई तो वह शून्य पाई गई, जबकि पानी में घुलीय आक्सीजन छह-आठ मिलीग्राम प्रतिलीटर होनी आवश्यक है। तभी उसमें सूक्ष्म जंतु और सूक्ष्म पौधे जीवित रह सकेंगे। नाले में पहाड़ी नदी की तरह तेज प्रवाह और बड़ी मात्रा में सूक्ष्म पौधे न होने के कारण प्राकृतिक रूप से मिलने वाली आक्सीजन की मात्रा शून्य हुई है। ऐसे में सूक्ष्म पौधे और जंतु भी जीवित नहीं रह सकते। इसलिए नालों में यांत्रिक रूप से आक्सीजन देने की आवश्यकता पड़ी है।

ऐसी बनी योजना: इस रिपोर्ट के बाद नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने नालों में आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने और प्रदूषित पानी के उपचार के लिए पर्यावरणविद, आइटी विशेषज्ञों और जलकल के इंजीनियरों की मदद ली। कई बैठकों के बाद बृज विहार में देश का पहला सोलर स्मार्ट आक्सीजनेशन सिस्टम तैयार करने की योजना बनी, जिस पर सहमति बनी और यह सिस्टम परीक्षण में भी सफल रहा है। एनजीटी द्वारा गठित जलाशयों की निगरानी समिति के अध्यक्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसवीएस राठौर ने इस तकनीक को गाजियाबाद आकर देखा और इस पर आगे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया है। एयर डिफ्यूजर से मिलेगी आक्सीजन: पर्यावरणविद और पर्यावरण योजनाकार डॉ. उमर शेफ ने बताया की सूर्य की रोशनी से चलने वाले सोलर स्मार्ट आक्सीजनेशन सिस्टम मानव रहित हैं। इसके लिए कंट्रोल रूम, मानिटरिग सिस्टम, एयरेशन सिस्टम और आइओटी (इंट्रेस्ट आफ थिग्स) बनाए गए हैं। जिस तरह से एक्वेरियम में एयर डिफ्यूजर लगे होते हैं उसी तरह एक आक्सीजनेशन सिस्टम में 40 एयर डिफ्यूजर लगाए गए हैं, जो हवा से आक्सीजन लेकर पानी में डालेंगे। इस पूरे सेटअप को तैयार करने में छह-सात लाख रुपये का खर्च आया है। इससे नालों में ठोस अपशिष्ट और प्रवाह की निगरानी होगी। पानी में मौजूद प्रदूषण और हवा के प्रदूषण की लाइव रिपोर्ट मिलेगी। जिससे जरूरत के हिसाब से निर्णय लेने में मदद मिलेगी। बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी), केमिकल आक्सीजन डिमांड (सीओडी) को सीधे तौर पर कम किया जा सकेगा। बृज विहार के नाले में डाले गए हैं सूक्ष्म जंतु और पौधे: बृज विहार में जिस जगह आक्सीजनेशन सिस्टम लगाया गया है, वहां पानी में घुलीय आक्सीजन की मात्रा सूक्ष्म जंतु और पौधों के जीवित रहने के लिए हो गई है। इस वजह से नाले में शिवालिक से सूक्ष्म जंतु पैरामीशियम और यूग्लीना लाकर डाले गए हैं। इन जीवों का भोजन सूक्ष्म पौधे डाइएटम और एक कोशिकीय शैवाल होते हैं। इसलिए उन्हे भी नालों में डाला गया है। सूक्ष्म पौधे नाले में आक्सीजन बढ़ाने का काम भी करेंगे। ऐसे में नालों में प्रदूषण कम होगा। पारिस्थितिक तंत्र पुनरुद्धार में मिलेगी सफलता:

नालों में सूक्ष्म जंतु होंगे तो वह पानी के साथ हरनंदी नदी में भी जाएंगे। यही सूक्ष्म जंतु बड़े जलीय जीवों जैसे मगरमच्छ, कछुए, मछलियां और घड़ियाल का भोजन होते हैं। ऐसे में जब पानी साफ होगा और उसमें भोजन भी होगा तो यहां पर मगरमच्छ, कछुए जीवित रह सकेंगे। 11 नालों में आक्सीजनेशन सिस्टम लगने के बाद हरनंदी नदी में बड़े जंतु बाहर से लाकर डाले जाएंगे। जलीय जंतुओं को मनुष्य और जंगली जानवर भी खाते हैं। इस तरह से पारिस्थितिक तंत्र पुनरुद्धार में भी सफलता मिलेगी। बयान

नालों और हरनंदी नदी के पानी में से प्रदूषण कम करने के लिए पहला सोलर स्मार्ट आक्सीजनेशन सिस्टम विकसित किया गया है। एक नाले पर दो और शहर में 11 नालों पर कुल 22 आक्सीजनेशन सिस्टम लगाए जाएंगे। नदी का पानी साफ होगा तो इसे और शोधित कर पेयजल के भी काम लाया जा सकेगा। - महेंद्र सिंह तंवर, नगर आयुक्त।

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अभिषेक सिंह

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