डाक्टर की डिग्री का पता नहीं , कंपाउंडर दसवीं पास
जागरण संवाददाता गाजियाबाद बंगाली डॉक्टरों (झोलाछाप डाक्टर) की भी शहर में खूब भरमा
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: बंगाली डॉक्टरों (झोलाछाप डाक्टर) की भी शहर में खूब भरमार है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से जागृति विहार, पीले क्वार्टर, सेवा नगर, पटेलनगर, नेहरूनगर, शास्त्रीनगर और विजयनगर क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आरोप है कि क्लीनिक के नाम पर दुकान चलाने के एवज में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के इशारों पर लिपिकों द्वारा मोटा पैसा वसूला जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तो बिना पंजीकरण के लैब का भी संचालन हो रहा है। भ्रूण जांच तक की सुविधा इन लैब पर आसानी से उपलब्ध है। अपंजीकृत अस्पताल, नर्सिंग होम और क्लीनिकों में कथित झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा मरीज भेजने का कमीशन तय होता है। इनकी नींव रखे जाते वक्त स्थानीय पार्षद, चौकी प्रभारी और पीएचसी प्रभारी द्वारा कोई विरोध नहीं किया जाता है। सिस्टम के गठजोड़ का ही असर है कि कोरोना महामारी अधिनियम लागू होने के बाद भी कथित झोलाछाप का जाल फैलता ही जा रहा है।
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सीन-1, सीता देवी हृदयनाथ
चिकित्सालय, पीले क्वार्टर
चिकित्सालय पर लगे बोर्ड से लगता है कि कोई बड़ा अस्पताल है लेकिन आधे हिस्से में होटल चल रहा है। कुछ हिस्से में कामन सर्विस सेंटर है। एक कमरे में क्लीनिक खुला हुआ है। चिकित्सक गायब है, दवाओं की रैक सजी हुई है। आसपास मलिन बस्ती के लोग इस अस्पताल में बीमार होने पर पहुंचते है। जरूरतमंदों को दवा देने के लिए योग्य चिकित्सक शायद नहीं है। पूछताछ करने पर पता चला कि डॉ. अकेला द्वारा इसका संचालन किया जाता है। संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। वर्ष 1992 से अस्पताल संचालित है। तत्कालीन सीएमओ डॉ. एस सरन के कार्यकाल में इस अस्पताल का लाइसेंस जारी किया गया था।
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सीन-2 बंगाली क्लीनिक, जागृति विहार सीएमओ कार्यालय से आधा किलोमीटर दूर स्थित बंगाली क्लीनिक में रामभरोसे ही गरीबों का उपचार हो रहा है। इसका संचालन डॉ. सम्राट द्वारा किया जा रहा है। डॉक्टर की डिग्री और लाइसेंस का कोई अता-पता नहीं है। पूछने पर कंपाउंडर ने बताया कि डॉक्टर साहब अभी हैं नहीं। दसवी पास कंपाउंडर ही मरीज का ब्लड प्रेशर चेक कर रहा था। बोर्ड को ध्यान से देखने पर पता चला कि क्लीनिक में बवासीर, भगंदर, हाइड्रोसील जैसी बीमारियों के इलाज के साथ ही ब्लड, यूरिन और बलगम टेस्ट की भी सुविधा है। वर्ष 2003 में तत्कालीन सीएमओ डॉ. एमपी सिंह के कार्यकाल में शुरू किया गया क्लीनिक अब तक चालू है।
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विजयनगर, पीले क्वार्टर, जागृति विहार, घूकना, सेवा नगर, बिहारीपुरा जैसे इलाकों में अपंजीकृत नर्सिंग होम, अस्पताल एवं क्लीनिकों के संचालन की जानकारी मिली है। इनके खिलाफ अभियान चलाकर सख्त कार्रवाई की जाएगी। बीमार लोगों की जान से खिलवाड़ करने वालों पर जांच रिपोर्ट के आधार पर सुसंगत धाराओं के तहत एफआइआर भी दर्ज कराई जाएगी।
-डॉ. सुनील कुमार त्यागी, एसीएमओ एवं नोडल लाइसेंस