कविनगर में बैठा तस्कर बिहार में कराता था दारू पार्टी

जागरण संवाददाता गाजियाबाद शराबबंदी के बाद बिहार में तस्कर अलग-अलग तरीके से शराब भिज

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 08:24 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 08:24 PM (IST)
कविनगर में बैठा तस्कर बिहार में कराता था दारू पार्टी
कविनगर में बैठा तस्कर बिहार में कराता था दारू पार्टी

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: शराबबंदी के बाद बिहार में तस्कर अलग-अलग तरीके से शराब भिजवा रहे हैं। शुक्रवार को दारू पार्टी के लिए आन डिमांड बिहार में शराब भिजवाने वाले नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। बिहार के गोपालगंज जिले में कुचायकोट थाना की पुलिस ने कविनगर से दिनेश नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया और कोर्ट में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर बिहार ले गए।

बिहार से आए दारोगा शिव रंजन प्रसाद ने बताया कि यह गिरोह हरियाणा के सोनीपत और पानीपत से शराब मंगाता है। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे से डासना में उतरकर कविनगर में अलग-अलग खेप में बांटकर न सिर्फ एनसीआर में सप्लाई करता था, बल्कि बिहार भी लगातार शराब भिजवा रहा था।

जानकारी के मुताबिक बिहार पुलिस ने बीते दिनों एक खेप पकड़ी थी। गिरफ्तार आरोपित से पूछताछ में पता चला कि यह शराब गाजियाबाद से भिजवाई गई है। सटीक जानकारी मिलने पर शुक्रवार को कुचायकोट थाने से चार पुलिसकर्मी गाजियाबाद के थाना कविनगर पहुंचे। बिहार पुलिस नेटवर्क से जुड़े व्यक्ति को साथ लाई थी। उसकी निशानदेही पर कविनगर थाना पुलिस की मदद से आरोपित दिनेश को दबोच लिया।

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लग्जरी कार व एंबुलेंस में ले जाते थे शराब दिनेश को अलग-अलग तस्करों से डिमांड मिलती थी। उसी के हिसाब से वह अलग-अलग खेप तैयार कर शराब लेकर जाता था। दिनेश बार्डर तक खुद खेप ले जाता था। वहां से दूसरे तस्कर को शराब दे देता था। 20-30 पेटी शराब के लिए लग्जरी कारों में खुफिया केबिन बनाकर ले जाता था और ज्यादा मांग होने पर एंबुलेंस में शराब भरकर ले जाता था। बिहार से आए पुलिसकर्मियों ने दावा किया कि दिनेश दो साल से लगातार बिहार में शराब पहुंचा रहा था। एक खेप पर 5 से 10 हजार रुपये कमाता था। पुलिसकर्मियों ने बताया कि बिहार में शराबबंदी के बाद तस्करी के कई तरीकों का भंडाफोड़ किया है, लेकिन दिनेश उनके हत्थे पहली बार चढ़ा है। साफ है कि पुलिस और आबकारी विभाग में भी उसकी पैठ है। दिनेश ने बताया कि कई जगह पुलिसकर्मी सिर्फ शराब की एक बोतल देते ही उसे छोड़ देते थे।

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