पापा को रोक खुद बिस्किट लेने गई खुशी, फिर नहीं लौटी

जागरण संवाददाता गाजियाबाद राकेश मार्ग पर बुधवार को हुए हादसे में जान गंवाने वाली खुशी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Sep 2021 09:42 PM (IST) Updated:Thu, 02 Sep 2021 09:42 PM (IST)
पापा को रोक खुद बिस्किट लेने गई खुशी, फिर नहीं लौटी
पापा को रोक खुद बिस्किट लेने गई खुशी, फिर नहीं लौटी

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: राकेश मार्ग पर बुधवार को हुए हादसे में जान गंवाने वाली खुशी (11) के माता पिता और दोनों भाई गम में डूबे हैं। पिता अखिलेश ने बताया कि वह बिहार के शिवहर के मूल निवासी हैं और 16 साल से गाजियाबाद में रहकर मजदूरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह पत्नी ऊषा ने चाय बनाई थी। पीने से पहले खुशी बोली बिस्किट भी ले आती हूं। अखिलेश ने बारिश के चलते उसे मना किया और कहा कि वह बिस्किट ले आएंगे। खुशी नहीं मानी और खुद बिस्किट लेने चली गई। नम आंखों से अखिलेश बताते हैं कि बेटी उनकी जान बचा कर खुद हमसे दूर चली गई।

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नहीं भूल पाऊंगा लक्ष्मी को राकेश मार्ग पर रहने वाले दीपक ने बताया कि वह लक्ष्मी नारायण के साथ उसके घर के बरामदे में बैठे थे। सिमरन और सुरभि को गिरते देख लक्ष्मी ने उन्हें भेजा कि बच्ची को उठा लो। वह दुकान की ओर गए और इसी बीच लक्ष्मी को एहसास हुआ कि बच्चियों को करंट लगा है। वह अपनी बेटी को छोड़ तेजी से दौड़ा। दीपक का कहना है कि इसी दौरान खुशी भी करंट की चपेट में आ गई। वह बच्चियों को उठाने के लिए पोल पकड़ने ही वाले थे कि लक्ष्मी ने उन्हें धक्का दिया और खुद अनियंत्रित हो गया। गिरने से बचने को उसने पोल पकड़ा और उससे चिपक गया। सुरभि की मां जानकी ने भी बच्चों को बचाने के प्रयास में जान गंवा दी। दीपक का कहना है कि लक्ष्मी उनकी जान बचाकर खुद दुनिया छोड़ गया, लेकिन वह उसे कभी नहीं भूल पाएंगे।

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स्कूल नहीं जा पाई सुरभि राजकुमार का कहना है कि वह 15 साल पहले जानकी से शादी कर प्रतापगढ़ से गाजियाबाद आए थे। जानकी और सुरभि की मौत के बाद वह इस शहर में अकेले रह गए हैं। सुरभि स्कूल जाने की जिद करती थी। कोरोना के कारण वह ट्यूशन जाती थी। कुछ दिन पूर्व स्कूल खुलने के बारे में सुनकर उसने अपने लिए नया बैग मंगवाया था, लेकिन एडमिशन से पहले ही हादसा हो गया। सुरभि स्कूल नहीं जा पाई। लक्ष्मीनारायण के पिता बद्रीनाथ के आंसू हादसे के बाद से ही नहीं रुक रहे। उन्होंने बताया कि लक्ष्मी किसी भी काम में सबसे आगे रहता था। वहीं सिमरन की मां कृष्णा का भी रो-रोकर बुरा हाल है।

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बिना बिजली के रह रहे छह परिवार जिस दुकान के कारण हादसा हुआ था, उसके साथ वाले मकान का भी कनेक्शन काटकर विद्युत विभाग की टीम ने केबल हटा दी थीं। इस मकान में छह परिवार किराये पर रहते हैं। बुधवार से ही ये छह परिवार हादसे के बाद से बिना विद्युत आपूर्ति के रह रहे हैं। यहां रहने वाले गोपाल ने बताया कि कल से ही बुरा हाल है। मोबाइल भी डिस्चार्ज पड़ा है। हादसे के बाद मोहल्ले में गमगीन माहौल है। मृतकों के घरों में दूसरे दिन भी चूल्हा नहीं जला। स्वजन ने हरनंदी घाट से अस्थियां लेकर विसर्जित कीं।

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