- श्री दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर

गाजियाबाद में जस्सी पुरा स्थित एमएमजी अस्पताल के पास श्री दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर है। मंदिर जाने क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 10:33 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 10:33 PM (IST)
- श्री दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर
- श्री दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर

गाजियाबाद में जस्सी पुरा स्थित एमएमजी अस्पताल के पास श्री दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर है। मंदिर जाने के लिए हापुड़ मोड़ से गोशाला फाटक की ओर जाएंगे। यह जिला महिला अस्पताल के पास पड़ेगा। मंदिर में गणपति, राधा-कृष्ण, राम परिवार, भगवान विष्णु, मां सरस्वती, मां दुर्गा और उनके काली स्वरूप आदि देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं। मंदिर में प्राचीन गुरुकुल और गोशाला भी है। मंदिर के 16वें महंत नारायण गिरि महाराज हैं।

--- मंदिर का इतिहास श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास रावण से जुड़ा हुआ है। जिसका जिक्र वेद पुराणों में भी मिलता है। पुराणों में हिरण्यदा (हरनंदी) नदी के किनारे हिरण्यगर्भ ज्योतिर्लिंग का जिक्र किया गया है। श्री दूधेश्वरनाथ मठ में जमीन से साढ़े तीन फीट नीचे दिव्य शिवलिंग (हिरण्यगर्भ ज्योतिर्लिंग) स्थापित है। जहां पुलस्त्य के पुत्र और रावण के पिता वि‌र्श्वश्रवा ने घोर तपस्या की थी। रावण ने भी यहां भगवान श्री दूधेश्वरनाथ की तपस्या की थी। कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर की स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज ने कराई थी। उस समय जब गाएं यहां चरने के लिए आती थीं तो उनके थन से स्वत: ही दूध गिरने लगता था। इस घटना से अचंभित गांव वालों ने जब खुदाई की तो यहां शिवलिग मिला जहां मंदिर बनाया गया और नाम दूधेश्वरनाथ पड़ा।

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मंदिर की विशेषताएं श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर का मुख्य द्वार एक ही पत्थर से बना हुआ है। मंदिर काफी प्राचीन है। यहां कांवड़ का जल चढ़ाया जाता है। मंदिर में जो भी मनोकामना लेकर श्रद्धालु आते हैं वह पूरी होती है। मंदिर में एक प्राचीन कुआं है। कहा जाता है कि कुएं के पानी का स्वाद सुबह, दोपहर और शाम को बदल जाता है। हर साल यहां संत सनातन कुंभ लगता है। जहां हजारों की संख्या में संत आते हैं।

--- वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र या कोविड जांच की नेगेटिव रिपोर्ट दिखाने पर ही प्रवेश का नियम लागू किया गया है। मंदिर में प्रवेश के लिए मास्क लगाना और सैनिटाइजेशन अनिवार्य है। साथ ही शारीरिक दूरी का भी पालन करना होगा। सुबह शाम भगवान श्री दूधेश्वरनाथ की पूजा अर्चना और शाम को महाआरती और श्रृंगार किया जाता है। इसके अलावा आठों पहर रुद्राभिषेक किया जाता है जो पूरे सावन माह होता रहेगा।

- महंत नारायण गिरि महाराज, श्री दूधेश्वनाथ मंदिर

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