वंचित बच्चों को कलम थमा रहीं शिवांगी

जागरण संवाददाता गाजियाबाद राजनगर एक्सटेंशन की रहने वाली गृहणी शिवांगी शर्मा पांच साल स

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 07:40 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 07:40 PM (IST)
वंचित बच्चों को कलम थमा रहीं शिवांगी
वंचित बच्चों को कलम थमा रहीं शिवांगी

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : राजनगर एक्सटेंशन की रहने वाली गृहणी शिवांगी शर्मा पांच साल से बच्चों के जीवन में शिक्षा की रोशनी फैला रही हैं। वह शिक्षा से वंचित 200 से ज्यादा बच्चों को स्कूल में दाखिला करा चुकी हैं। साथ ही बच्चों को शिक्षित करने के लिए पूरा सहयोग करती हैं।

शिवांगी ने बताया कि उनकी दो बेटियां हैं। जब बड़ी बेटी पैदा हुई तो उनके मन में दूसरी बेटियों की समस्याओं को देखकर मन विचलित होने लगा। उन्होंने बेटियों की मदद करने के साथ समाजसेवा की शुरुआत की थी। शुरुआत में उन्होंने तीन बेटियों की खुद के खर्चे पर शादी भी कराई। बाद में जब देखा कि लड़की ही नहीं लड़के भी शिक्षा से वंचित हैं, परेशान हैं तो उन्होंने उनकी भी मदद करनी शुरू कर दी। आरटीई के तहत दाखिलों की ज्यादातर लोगों को जानकारी देखकर उन्होंने लोगों को इसके लिए जागरूक करना शुरू किया। वह बाल मजदूरों के अभिभावकों को समझाकर स्कूल में दाखिला कराती हैं। जरूरतमंद बच्चों को स्टेशनरी और किताबें खरीदकर देती हैं। इसके अलावा हर साल शिक्षा से विहीन बच्चों के दाखिले निजी और सरकारी विद्यालयों में कराती हैं। उनका कहना है कि शिक्षा से वंचित कोई भी बच्चा हो, वह उसकी हर तरह से मदद करने का प्रयास करती हैं। शुरुआत में उनके पति सतीश शर्मा और पिता अनिल शर्मा के साथ परिवार का सहयोग मिलता था, लेकिन अब उन्हे देखकर दूसरे लोगों ने भी उनकी मदद करते हैं। ----

गोद लेकर बदली स्कूल की सूरत

सिकरौड़ के प्राथमिक विद्यालय को गोद लेकर शिवांगी शर्मा ने स्कूल की सूरत ही बदल दी। स्कूल पूरी तरह से जर्जर हाल में था और चारदीवारी भी नहीं थी। बच्चे स्कूल में जाना पसंद नहीं करते थे। शिवांगी ने बताया कि विद्यालय की चारदीवारी न होने के कारण असामाजिक तत्व स्कूल में आ जाते थे और शराब भी वहीं पीते थे। विद्यालय की चारदीवारी बनवाने के लिए वह अधिकारियों और सामाजिक संगठनों से मदद मांगी, लेकिन बात नहीं बनी तो उन्होंने खुद ही इसका सुधार कराने की ठानी। फिर उन्होंने विद्यालय को गोद ले लिया। पति की मदद से उन्होंने विद्यालय की चारदीवारी कराई। जब गर्मी की छुट्टी पड़ी तो उन्होंने स्कूल की रंगाई पुताई कराई और हाथों से स्कूल की दीवारों पर सुंदर-सुंदर पेंटिग बनाई।

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