मतांतरण गिरोह के आकाओं तक पहुंचने में जुटी सुरक्षा एजेंसियां

आशुतोष गुप्ता गाजियाबाद मतांतरण गिरोह के दो आरोपितों दिल्ली जामियानगर निवासी जहांगीर आलम और मोहम्मद उमर गौतम की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों गिरोह के आकाओं तक पहुंचने में जुट गई हैं। गिरोह के सरगना के पकड़ में आने के बाद ही पूरे मामले से परत-दर-परत पर्दा उठ सकेगा। वहीं जांच में आया है कि इस गिरोह का नेटवर्क देश के कोने-कोने में फैला है। दिल्ली बिहार उत्तर प्रदेश महराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में भी गिरोह के सदस्य सक्रिय हैं जो मतांतरण की मुहिम में जुड़े हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 07:27 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 07:27 PM (IST)
मतांतरण गिरोह के आकाओं तक पहुंचने में जुटी सुरक्षा एजेंसियां
मतांतरण गिरोह के आकाओं तक पहुंचने में जुटी सुरक्षा एजेंसियां

आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद : मतांतरण गिरोह के दो आरोपितों दिल्ली जामियानगर निवासी जहांगीर आलम और मोहम्मद उमर गौतम की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों गिरोह के आकाओं तक पहुंचने में जुट गई हैं। गिरोह के सरगना के पकड़ में आने के बाद ही पूरे मामले से परत-दर-परत पर्दा उठ सकेगा। वहीं जांच में आया है कि इस गिरोह का नेटवर्क देश के कोने-कोने में फैला है। दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, महराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में भी गिरोह के सदस्य सक्रिय हैं, जो मतांतरण की मुहिम में जुड़े हैं।

माना जा रहा है कि एजेंसियां इस मामले में 50 से अधिक लोगों पर शिकंजा कस सकती हैं और उन्हें जल्द गिरफ्तार कर सकती हैं। इस गिरोह पर देशभर में हजारों की संख्या में लोगों का मतांतरण कराए जाने का अंदेशा है। नौकरी, शादी और पैसे का लालच देकर यह गिरोह लोगों से मतांतरण कराता है। मामले में पूर्व में गाजियाबाद में पकड़ा गया विपुल विजयवर्गीय उर्फ रमजान भी देशभर में इलाज के बहाने घूमकर मतांतरण के लिए लोगों से अपील कर रहा था और उनका ब्रेनवाश कर रहा था। विपुल से मिली जानकारी के आधार पर ही उत्तर प्रदेश एटीएस दोनों आरोपितों तक पहुंची है।

जिले में भी बड़ी संख्या में मतांतरण का अंदेशा : आरोपितों द्वारा देशभर में लोगों का मतांतरण कराया गया है। अंदेशा जताया जा रहा है कि जिले में भी बड़ी संख्या में लोगों का मतांतरण कराया गया। हालांकि इस संबंध में अभी एजेंसियों को पुख्ता जानकारी नहीं मिली है, लेकिन एजेंसियां जिले में गिरोह का नेटवर्क खंगाल रही हैं। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही इन लोगों पर शिकंजा कसा जा सकता है और इस पूरे खेल से पर्दाफाश हो सकता है।

मंदिर में घुसने का मकसद नहीं चल सका पता : विपुल विजयवर्गीय व कासिफ के मंदिर में घुसने का मकसद अभी साफ नहीं हो पाया है। करीब 10 दिन तक आरोपितों से पूछताछ के बावजूद एजेंसियां इस नतीजे पर अब तक नहीं पहुंच पाई हैं कि दोनों मंदिर में किस उद्देश्य से घुसे थे। हालांकि एजेंसियों की जांच में यह तो साफ हो गया है कि दोनों के मंदिर में घुसने की नीयत अच्छी नहीं थी और अपने गुरु सलीमुद्दीन के उकसाने पर ही वह मंदिर में घुसे थे। एजेंसियां अब इस गिरोह के आकाओं तक पहुंचने के प्रयास में जुटी हैं।

बैग में लोहे के स्केल मिलने से और संदिग्ध हुआ था मामला : पुलिस ने जब आरोपितों को गिरफ्तार किया तो उनके बैग से तीन सर्जिकल ब्लेड, वैक्यूम थैरेपी में काम आने वाली वैक्यूम सेक्शन मशीन, कुछ दवाएं, धार्मिक किताबें और दो लोहे के स्केल बरामद हुए थे। पुलिस ने लोहे के स्केल पर अधिक ध्यान नहीं दिया था, लेकिन जब एक खुफिया एजेंसी की पूछताछ में स्केल की बात सामने आई, तो मामला अधिक संदिग्ध हो गया। दरअसल, सूत्रों का कहना था कि इन स्केल का इस्तेमाल गला काटने में किया जा सकता है। सर्जिकल ब्लेड से गले में कट देने के बाद स्केल को इस कट पर लगाकर दबाव देने से गले को पूरी तरह से काटा जा सकता है।

बॉक्स..

यक्ष प्रश्न, जिनका जवाब मिलना बाकी है..

- मंदिर के गेट पर बोर्ड लगा है कि यहां मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है, इसके बाद भी आरोपित मंदिर में क्यों गए?

- पुलिसकर्मियों ने कहा कि महंत यति नरसिंहानंद मंदिर में नहीं है। इसके बाद भी वह मंदिर में क्यों घुसे?

- विपुल ने रजिस्टर में अपनी एंट्री तो सही नाम से की लेकिन कासिफ का नाम काशी गुप्ता क्यों लिखा?

- 27 मई से विपुल विजयवर्गीय गाजियाबाद में था। वह दिन में मंदिर में क्यों नहीं आया। मंदिर में आने के लिए रात का समय ही क्यों चुना?

- छह घंटे तक वह किताब की दुकान पर क्यों रुके रहे। आखिर शाम होने का इंतजार वह क्यों कर रहे थे?

- वह मंदिर परिसर में तब ही क्यों घुसे जब महंत यति नरसिंहानंद पूजा-पाठ में तल्लीन होते हैं और बिना सुरक्षा के होते हैं?

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