रक्षाबंधन पर अबकी भी सुराना में सूनी रहेगी भाइयों की कलाई
विकास वर्मा मोदीनगर रविवार को जहां पूरा देश रक्षाबंधन का त्योहार मना रहा होगा बहनें अपने भाइयों की कलाईयों पर राखी बांधेंगी वहीं मुरादनगर के गांव सुराना में भाइयों की कलाइयां इस बार भी सूनी रहेंगी। यह पहली बार नहीं है।
विकास वर्मा, मोदीनगर : रविवार को जहां पूरा देश रक्षाबंधन का त्योहार मना रहा होगा, बहनें अपने भाइयों की कलाईयों पर राखी बांधेंगी, वहीं मुरादनगर के गांव सुराना में भाइयों की कलाइयां इस बार भी सूनी रहेंगी। यह पहली बार नहीं है। दरअसल, 1192 ई. में रक्षाबंधन के दिन ही मोहम्मद गोरी ने सुराना गांव में हमला कर भारी नरसंहार किया था। उस समय गोरी ने सुराना के सैकड़ों से लोगों की हत्या कर दी थी। तभी से गांव के लोग इस दिन को अपशगुन मानते हैं।
जिले के मुरादनगर में हरनंदी के पास सुराना गांव बसा है। करीब 20 हजार की आबादी वाले इस गांव में छाबड़िया, चंद्रवंशी, अहीर आदि गोत्र के लोग रहते हैं। जानकारों के अनुसार, 1106 ई. में पृथ्वीराज चौहान व मोहम्मद गोरी के बीच तनातनी चल रही थी। इसलिए राजस्थान के अलवर से पृथ्वीराज चौहान के वंशज छतर सिंह राणा अपने पुत्र सूरजमल राणा के साथ आकर यहां बस गए। कुछ समय बाद सूरजमल राणा को विजेश सिंह राणा व सोहरण सिंह राणा पुत्र हुए। इस बीच 1192 ई. में जब मोहम्मद गोरी को पता चला कि यहां पृथ्वीराज चौहान के वंशज रहते हैं, तो उसने रक्षाबंधन वाले दिन यहां हमला करने की योजना बनाई। करीब 50 हजार की सेना के साथ यहां आक्रमण कर दिया। निर्दाेष लोगों की क्रूर गोरी ने हत्या कर दी। औरतों, बच्चों, बुजुर्गों को हाथियों के पैरों तले जिदा कुचल दिया। तभी से यहां रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता।
उधर, हमले में विजेश सिंह राणा की भी हत्या हो गई थी। वहीं भाई सोहरण सिंह राणा गंगा स्नान को गए थे, इसलिए वे बच गए। साथ ही उनकी पत्नी राजवती, जो उस समय अपने मायके गई थी, वे भी जिदा बची। यहां उन्होंने लखी व चुपड़ा दो पुत्रों को जन्म दिया। उन्होंने पुत्रों को बचपन में ही गोरी के आक्रमण के बारे में बताया गया। इसके बाद लखी व चुपड़ा के साथ राजवती यहां वापस आई और गांव सुराना को फिर से बसाया। इसके कुछ समय बाद ही सुठारी गांव को भी बसाया गया। रक्षाबंधन के दिन हुआ नरसंहार आज भी लोगों के लिए अपशगुन बना है। ग्रामीण बताते हैं कि यदि किसी ने रक्षाबंधन त्योहार न मनाने की परंपरा को तोड़ने की कोशिश की, तो उनके यहां अनहोनी हो गई। इसके बाद से इस त्योहार को गांव के लोग मनाने से डरने लगे हैं। घूमेश्वर महादेव शिव मंदिर : सुराना गांव में घूमेश्वर महादेव शिव मंदिर है। सैंकड़ों साल पुराने इस शिव मंदिर में गाजियाबाद समेत आसपास के जिलों से भी लोग भगवान शिव का आशीर्वाद लेने आते हैं। शिवरात्रि पर यहां पूरे दिन जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों की कतार लगी रहती है। मान्यता है कि यहां जो भी भगवान से मांगा जाता है, वह अवश्य पूरा होता है। वर्जन..
रक्षाबंधन पर गांव के सैंकड़ों लोगों की मोहम्मद गोरी ने हत्या कर दी थी। उस समय ही हमारे पूर्वजों ने रक्षाबंधन नहीं मनाने का संकल्प लिया था। तभी से गांव में रक्षाबंधन मनाना अपशगुन माना जाता है।
- महावीर यादव, ग्रामीण।
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पूर्वजों ने मोहम्मद गोरी के आक्रमण की बात बताई थी। सैंकड़ों सालों से गांव में रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता। हम भी बचपन से ही रक्षाबंधन नहीं मना रहे हैं।
- विकास यादव, ग्रामीण।