बेटियों की दीर्घायु के लिए भी रखा अहोई अष्टमी व्रत

जासं मोदीनगर अहोई अष्टमी का त्योहार गुरुवार को पूरी आस्था और उत्साह से मनाया गया। एक तरफ जहां माताओं ने बेटों की दीर्घायु के लिए अहोई अष्टमी माता से कामना की तो बड़ी तादाद में माताओं ने बेटियों की दीर्घायु के लिए भी व्रत रखा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 07:33 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 07:33 PM (IST)
बेटियों की दीर्घायु के लिए भी रखा अहोई अष्टमी व्रत
बेटियों की दीर्घायु के लिए भी रखा अहोई अष्टमी व्रत

जासं, मोदीनगर: अहोई अष्टमी का त्योहार गुरुवार को पूरी आस्था और उत्साह से मनाया गया। एक तरफ जहां माताओं ने बेटों की दीर्घायु के लिए अहोई अष्टमी माता से कामना की, तो बड़ी तादाद में माताओं ने बेटियों की दीर्घायु के लिए भी व्रत रखा। इस दौरान जिन बच्चों की मां का निधन हो गया, उनके पिता ने व्रत रखा। शाम को तारे को अ‌र्घ्य देकर व्रत तोड़ा। दोपहर में अहोई अष्टमी की कथा सुनी और विधिवत पूजा की। शाम को घरों में पकवान बना और माताओं ने घर के बुजुर्ग को सबसे पहले खिलाया। साथ ही उनको कपड़े और नकदी भी नेग में देकर आशीर्वाद लिया। बुजुर्गों ने महिलाओं को सदा सुहागिन रहने के साथ ही बच्चों के दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कोने-कोने में हिदू धर्म में आस्था रखने वालों के यहां अहोई अष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है। यह त्योहार प्रतिवर्ष दीपावली से एक सप्ताह पहले आता है। मुरादनगर में डिफेंस कालोनी में रहने वाली संगीता सिंह कहती हैं कि अब बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं है। उनकी एक बेटी है। उसको वे बेटे से भी ज्यादा मानती हैं। इसलिए उसकी सलामती के लिए उन्होंने अहोई अष्टमी का व्रत रखा है। मोदीनगर की देवेंद्रपुरी कालोनी की सोनी कहती हैं कि अहोई अष्टमी का व्रत वे हर बार रखती हैं। उनका भी कहना है कि आज बेटी बेटे में कोई फर्क नहीं है। पुरानी परंपरा भले ही बेटे की दीर्घायु के लिए व्रत रखने के लिए बनाई गई हो, लेकिन भगवान के यहां सब समान है। इसलिए वे भी बेटे-बेटी में कोई फर्क नहीं मानतीं।

chat bot
आपका साथी