निहारिका चौहान को नगरपालिका का चार्ज मिलने की राह नहीं आसान

जागरण संवाददाता मुरादनगर उखलारसी स्थित अंत्येष्ठि स्थल में बनी गैलरी की छत गिरने से तीन जनवरी को 25 लोगों की मौत के मामले में निलंबित ईओ निहारिका चौहान को भले ही अदालत से राहत मिल गई है लेकिन उनको मुरादनगर नगरपालिका के चार्ज मिलने की राह आसान नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 19 Aug 2021 07:33 PM (IST) Updated:Thu, 19 Aug 2021 07:33 PM (IST)
निहारिका चौहान को नगरपालिका का चार्ज मिलने की राह नहीं आसान
निहारिका चौहान को नगरपालिका का चार्ज मिलने की राह नहीं आसान

जागरण संवाददाता, मुरादनगर : उखलारसी स्थित अंत्येष्ठि स्थल में बनी गैलरी की छत गिरने से तीन जनवरी को 25 लोगों की मौत के मामले में निलंबित ईओ निहारिका चौहान को भले ही अदालत से राहत मिल गई है, लेकिन उनको मुरादनगर नगरपालिका के चार्ज मिलने की राह आसान नहीं है। दरअसल, ईओ की नियुक्ति का अधिकार शासन को है। नगरपालिका में पहले ही ईओ की तैनाती हो चुकी है। अब तक उन्हें हटाने के लिए शासन स्तर से कोई नया आदेश जारी नहीं हुआ है। हालांकि, ईओ अभिषेक सिंह अभी छुट्टी चले गए हैं। कागजी औपचारिकता के चलते निहारिका को चार्ज मिलना अभी मुश्किल दिख रहा है।

कोर्ट के आदेश की प्रति निहारिका चौहान ने मुरादनगर नगरपालिका में जमा करा दी है। ऐसी स्थिति के बीच अगर उन्हें चार्ज नहीं मिलता, तो कोर्ट की अवहेलना होगी। इस बीच मुरादनगर में राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। मुरादनगर में उनकी दोबारा दस्तक के बाद पूरे मामले में शुरू से लेकर अब तक अपना बचाव करने में लगा खेमा निहारिका को चार्ज मिलने से खुश नहीं है। यह खेमा चार्ज न मिलने देने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है और लखनऊ तक सिफारिश लगाई जा रही हैं।

जानकार बताते हैं कि जिन लोगों ने खुद का बचाव कर ईओ निहारिका पर पूरा दोष मढ़ दिया है, यदि निहारिका को दोबारा मौका मिला तो वे पूरा चिट्ठा खोलने में देर नहीं लगाएंगी। उधर, चार्ज लेने के लिए ईओ निहारिका चौहान ने मुरादनगर में डेरा डाल दिया है। वह हर हाल में चार्ज लेने के लिए प्रयासरत हैं। इसमें एक पक्ष ऐसा भी है, जो निहारिका चौहान के पक्ष में आ गया है। वह चाहता है कि निहारिका चौहान को चार्ज मिले। आधिकारिक स्तर पर भी इसे लेकर लगातार मंथन चल रहा है। मामला हाई प्रोफाइल होने से कोई भी कुछ भी बोलने से बच रहा है। उधर, इस मामले में ठेकेदार अजय त्यागी समेत कई लोग अभी भी जेल में बंद हैं। कोर्ट में निहारिका चौहान ने हलफनामा दिया था कि निर्माण का टेंडर जारी करने में उनकी नहीं, बल्कि चेयरमैन की भूमिका थी। किसी कागज पर उनके हस्ताक्षर भी नहीं हैं। इसी आधार पर कोर्ट ने निहारिका को जमानत दी और उनके शासन द्वारा किए गए निलंबन पर भी स्थगनादेश पारित किया।

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