प्लाज्मा डोनेट कर बचाई जान, 14 बार कर चुके हैं रक्तदान
दीपा शर्मा गाजियाबाद प्लाज्मा डोनेट करने से अभी भी लोग बच रहे हैं जबकि न तो कोई परेशानी
दीपा शर्मा, गाजियाबाद : प्लाज्मा डोनेट करने से अभी भी लोग बच रहे हैं जबकि न तो कोई परेशानी होती है और नहीं कमजोरी आती है। बिना किसी नुकसान के किसी की जान बचाने में मदद कर सकते हैं तो फिर क्यों पीछे हटें। परेशानी किसी को कभी भी हो सकती है। कोविड बीमारी है जो अमीर, गरीब या छोटे, बड़े को देखकर नहीं हो रही है। ऐसे समय में सभी एक दूसरे की मदद करें तभी कोरोना को हराया जा सकता है। ये कहना है वसुंधरा सेक्टर-5 के रहने वाले प्रदीप राजपूत का, जिन्होंने आठ मई को अपना प्लाज्मा डोनेट कर एक युवक की जान बचाने में मदद की।
प्रदीप राजपूत ने बताया कि वह उनकी तबीयत खराब हुई तो खुद को आइसोलेट कर कोरोना की जांच कराई। एक अप्रैल कोरोना जांच रिपोर्ट पाजिटिव आई। इसके बाद चिकित्सक से परामर्श किया और उसी के आधार पर घर पर ही अपना उपचार शुरु कर दिया। चिकित्सक की बताई दवाएं लेते हुए आयुर्वेद को भी अपनाया और योग प्रणायाम करते रहे। एक स्वस्थ दिनचर्या के साथ 11 दिन में ठीक हो गए और कोरोना की जांच रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई। तभी सोच लिया था कि यदि किसी को प्लाज्मा की जरूरत पड़ेगी तो वह डोनेट करेंगे। आठ मई को फोन पर मदद के लिए कॉल आयी कि आप संक्रमण से उबर चुके हैं तो अपना प्लाज्मा दे दें। किसी युवक की हालत गंभीर है। इसके बाद उन्होंने अपने एंटी बॉडी की जांच कराई और अपना प्लाज्मा डोनेट कर दिया। प्रदीप ने बताया कि उन्हें लगा था कि शायद थोड़ी बहुत परेशानी होगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। प्रदीप राजपूत ने बताया कि वह इससे पहले 14 बार अपना रक्तदान कर चुके हैं और नियमित रक्तदाता हैं।
---
एक दूसरे की मदद के लिए आएं आगे
जो कोरोना संक्रमण से उबर चुके हैं उन सभी से अपील करते हुए प्रदीप राजपूत ने कहा कि सभी एक दूसरे की मदद के लिए आगे आएं। बिना किसी नुकसान के अपना प्लाज्मा डोनेट कर किसी की जान बचाई जा सकती है। जो अपने आप में बहुत की अच्छा महसूस कराने वाली बात होगी। प्लाज्मा डोनेट करने से एक दिन के लिए भी कमजोरी महसूस नहीं होती। चिकित्सक भी प्लाज्मा तभी लेते हैं जब देखते हैं कि दाता सक्षम है। प्लाज्मा डोनेट करने में किसी तरह का डर नहीं है। न ही स्वास्थ्य को कोई हानि पहुंचती है।