टीबी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड का हाल बदहाल
जागरण संवाददाता गाजियाबाद टीबी हारेगा-देश जीतेगा। यह स्लोगन सुनने और पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है। इसके विपरीत टीबी को हराने की जिम्मेदारी निभा रहा जिला क्षय रोग विभाग खुद ही बीमार लग रहा है। तीन जिलों के एमडीआर टीबी रोगियों के इलाज के लिए बनाए गए मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी (एमडीआरटी सेंटर) अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में जंग खा चुके पंखे लगे हैं।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : टीबी हारेगा-देश जीतेगा। यह स्लोगन सुनने और पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है। इसके विपरीत टीबी को हराने की जिम्मेदारी निभा रहा जिला क्षय रोग विभाग खुद ही बीमार लग रहा है। तीन जिलों के एमडीआर टीबी रोगियों के इलाज के लिए बनाए गए मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी (एमडीआरटी सेंटर) अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में जंग खा चुके पंखे लगे हैं। अस्पताल का बोर्ड कबाड़ बने पुराने वाहनों के बीच ढक गया है। अस्पताल के बाथरूम गंदे पड़े हैं और कबाड़ से हमेशा धूल रहती है। स्टाफ के बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं है। वे बेंच पर बैठकर पूरा दिन गुजारते हैं। रात होते ही मरीजों को रामभरोसे छोड़कर स्टाफ घर चला जाता है। मरीज बेशक कम भर्ती होते हो, लेकिन 16 बेड के अस्पताल के संचालन को लेकर विभाग बेपरवाह है। राज्यपाल ने किया था उदघाटन : कुसुम लता टीबी क्लीनिक के नाम से इस अस्पताल का उद्घाटन 13 मार्च, 1957 को प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल कन्हैया लाल मणिकलाल मुंशी द्वारा किया गया था। इस अस्पताल में गाजियाबाद के अलावा बुलंदशहर और गौतमबुद्धनगर के एमडीआरटीबी रोगियों को भर्ती करते हुए उनके बेहतर उपचार का इंतजाम किए जाने का प्रविधान है। रिपोर्ट के अनुसार, एक जनवरी 2021 से लेकर 18 अक्टूबर तक 100 मरीज भर्ती हुए हैं। वर्तमान में रजतपुर ग्रेटर नोएडा से सुभाष और बुलंदशहर के नंगला गांव के फतेह सिंह भर्ती हैं। अस्पताल में रात होते ही मरीजों को भी डर लगने लगता है। बाक्स..
आन रिकार्ड टीबी रोगियों का विवरण
वर्ष रोगी मौत
2019 16,585 466
2020 12,618 361
2021 11,333 131
--------- वर्जन..
अस्पताल के बाथरूम को लेकर जिला महिला अस्पताल की सीएमएस को दर्जनों पत्र लिखे गए हैं। साफ-सफाई को लेकर भी पत्र लिखा गया है। स्टाफ की ड्यूटी को लेकर जिला एमएमजी अस्पताल के सीएमएस स्तर से ड्यूटी लगाई जाती है। निगरानी की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। नोडल वरिष्ठ फिजिशियन आरपी सिंह हैं। अस्पताल को नए सिरे से बनाने के लिए सीएमओ स्तर से बजट की मांग की जा रही है।
-डा.आरके यादव, जिला क्षय रोग अधिकारी।
पांच स्टाफ नर्स, एक वार्ड ब्वाय, दो वार्ड आया, एक काउंसलर तैनात हैं। इमरजेंसी काल पर चिकित्सक जाकर मरीजों को 24 घंटे देखते हैं। स्टाफ के रात को घर चले जाने की जानकारी नहीं है। इसकी जांच होगी।
-डा. अनुराग भार्गव, सीएमएम, जिला एमएमजी अस्पताल।