विकास भवन की दीवारें दे रहीं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश

नारी सशक्तीकरण फोटो संख्या - 10-13 - दीवारों पर बनवाई गईं सफल भारतीय महिलाओं की तस्वीर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 10:28 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 10:28 PM (IST)
विकास भवन की दीवारें दे रहीं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश
विकास भवन की दीवारें दे रहीं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश

जासं, गाजियाबाद:

गाजियाबाद विकास भवन की दीवारें अब बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ का संदेश दे रही हैं। मिशन शक्ति 3.0 के तहत महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए शुरू हुई प्रदेश सरकार की इस योजना को जिले में मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल नया रूप दे रही हैं। मुख्य विकास अधिकारी की मानें तो विकास भवन की यह दीवारें महिलाओं को सशक्त व उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कड़ी में आम जन को जागरूक करेंगी।

रुकेंगे भ्रूण हत्या के मामले : जिले में भ्रूण हत्या के मामले कई बार सामने आए हैं। यहां पर हरियाणा स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापामारी कर कई बार ऐसे गिरोह को पकड़ा है। इस तरह के मामले न हों, इसके लिए अल्ट्रासाउंड सेंटरों की निगरानी बढ़ाई गई है। प्रशासन को भरोसा है कि इस जागरूकता अभियान से भ्रूण हत्या के मामलों में भी कमी आएगी।

इनकी तस्वीरें बनीं शकुंतला देवी- चार नवंबर 1929 को बेंगलुरू में जन्मीं शकुंतला देवी गणितज्ञ थीं, उनको मानव कंप्यूटर के रूप में भी जाना जाता है। 1982 में उनका नाम गिनीज बुक आफ व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स में शामिल किया गया था। सरला ठकराल: आठ अगस्त 1914 में जन्मीं सरला ठकराल का विवाह पीडी शर्मा से हुआ। उनके परिवार में नौ पायलट थे, जिस कारण सरला भी पायलट बनने के लिए प्रेरित हुईं। उन्होंने 21 वर्ष की आयु में विमानन लाइसेंस हासिल कर एक दो सीट वाले विमान जिप्सी मोठ को अकेले उड़ाया। एक हजार घंटे की उड़ान भरकर ए श्रेणी का लाइसेंस प्राप्त करने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं। 1939 में विमान हादसे में उनकी मौत हो गई थी। आनंदी गोपाल जोशी: 31 मार्च 1865 को पुणे शहर में जन्मीं आनंदी गोपाल जोशी पश्चिमी चिकित्सा के क्षेत्र में पहली भारतीय महिला डाक्टर थीं। 14 साल की उम्र में उनका विवाह हुआ था और उनकी एकमात्र संतान की जन्म के दस दिन बाद ही मृत्यु हो जाने पर उन्होंने डाक्टर बनने का प्रण लिया, जिससे की असमय होने वाली मौत को रोक सकें। उन्होंने पेंसिल्वेनिया (अमेरिका) में मेडिकल की पढ़ाई की और डाक्टर बनने का अपना प्रण पूरा किया। सावित्रीबाई फुले- तीन जनवरी 1831 को जन्मीं सावित्रीबाई फुले भारत की पहली भारतीय महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। वह भारत के पहले बालिका विद्यालय की प्रिसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। लता मंगेशकर - 28 सितंबर 1929 को इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर को पा‌र्श्व गायिका के नाम से जाना जाता है। 30 से ज्यादा भाषाओं में उन्होंने फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाए हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के साथ ही पूरी दुनिया में लोग उनकी आवाज के दीवाने हैं। उनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।

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बयान विकास भवन की दीवारों पर इन महान महिलाओं के बारे में लोग जानकारी लेंगे तो वह बेटियों को पढ़ाने के लिए जागरूक होंगे। सफल भारतीय महिलाएं रोल माडल हैं। इसलिए न केवल विकास भवन की दीवारों बल्कि स्कूलों और ग्राम पंचायत में बने सरकारी भवनों पर भी सफल भारतीय महिलाओं की तस्वीरें बनवाई जाएंगी।

- अस्मिता लाल, मुख्य विकास अधिकारी।

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