कानून के प्रति समाज को जागरूक करने वाले अरविंद जैन को मिलेगा विधि भूषण सम्मान
अधिवक्ता अरविंद जैन को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ ने पुरस्कार समिति ने विधि भूषण सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत उनको 2 लाख रुपये की धनराशि बतौर पुरस्कार दी जाएगी। 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई करने के लिए वह दिल्ली आए थे।
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। किताबों और लेखों के जरिये कानून के प्रति समाज को जागरूक करने वाले वैशाली निवासी अधिवक्ता अरविंद जैन को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के पुरस्कार समिति ने विधि भूषण सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत उनको 2 लाख रुपये की धनराशि बतौर पुरस्कार दी जाएगी। अरविंद जैन के अलावा गाजियाबाद के तीन अन्य साहित्यकारों में पंकज चतुर्वेदी को बाल साहित्य 'क्यों डूबी पनडुब्बी' के लिए सूर पुरस्कार, डॉॅ. मुरारी लाल अग्रवाल को विद्यानिवास मिश्र पुरस्कार और डॉ. ईश्वर सिंह को डॉ. धीरेंद्र वर्मा पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया है।
पुरस्कारों की घोषणा के बाद दैनिक जागरण से फोन पर बातचीत के दौरान अरविंद जैन ने बताया कि वह मूलत: हरियाणा के हिसार स्थित उकलाना मंडी के रहने वाले हैं। सन् 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई करने के लिए वह दिल्ली आए। 1977 में पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली में ही वकालत करने लगे। इस दौरान महिलाओं और बच्चों को कानून के प्रति जागरूक करने के लिए उन्होंने कई किताबें लिखीं। इनमें मुख्य तौर पर औरत होने की सजा, उत्तराधिकार बनाम पुत्राधिकार, बचपन से बलात्कार, न्याय क्षेत्रे-अन्याय क्षेत्रे, यौन ¨हसा और न्याय की भाषा शामिल है। इसके अलावा औरत-अस्तित्व और अस्मिता नाम से महिला उपन्यासों का समाजशास्त्रीय अध्ययन, लापता लड़की के नाम से कहानी संग्रह लिखा। हाल ही में उनके द्वारा लिखी बेड़ियां तोड़ती स्त्री किताब भी प्रकाशित हुई है। जिसमें पिछले 200 साल में कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वालीं 20 महिलाओं के संघर्ष की गाथा है। वह उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में वकालत करते हैं। इसके अलावा समाचार पत्रों में लेख लिखकर कानून के प्रति लोगों को जागरूक करते हैं। उत्तराधिकार बनाम पुत्राधिकार दिल्ली विश्वविद्यालय के बीए कोर्स में कई सालों से पढ़ाई जाती है।
अरविंद जैन की रचनाओं पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हुआ है। अरविंद जैन का कहना है कि पुरस्कार के लिए नाम चयन होने की जानकारी उनको संस्थान से नहीं मिली है। हालांकि संस्थान द्वारा जारी की गई सूची में उनका नाम है।
डॉ. मुरारी लाल अग्रवाल को विद्यानिवास मिश्र पुरस्कार
क्रॉसिंग रिपब्लिक में रहने वाले 72 वर्षीय डॉ. मुरारी लाल अग्रवाल को विद्यानिवास मिश्र पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है। उनको बतौर पुरस्कार 40 हजार रुपये की धनराशि प्रदान की जाएगी। वह मूल रूप से आगरा के रहने वाले हैं। आगरा यूनिवर्सिटी में लंबे समय तक संस्कृत के प्रोफेसर रहे मुरारी लाल अग्रवाल द्वारा अब तक हिंदी एवं संस्कृत भाषा में लिखी गई 28 पुस्तकों का संपादन किया गया है। उनका एक बेटा विदेशी कंपनी में कार्यरत है और दो बेटियों की शादी हो चुकी है। गाजियाबाद में वह पांच साल से निवास कर रहे हैं।