बुनियादी व्यवस्था पर उठे सवाल
जासं गाजियाबाद अमेरिका स्थित न्यूज कॉर्प और उसकी ऑस्ट्रेलियाई समूह फर्म आरईआरए के स्
जासं, गाजियाबाद : अमेरिका स्थित न्यूज कॉर्प और उसकी ऑस्ट्रेलियाई समूह फर्म आरईआरए के स्वामित्व वाले रियल एस्टेट पोर्टल हाउसिग डाट काम की रिपोर्ट ने गाजियाबाद में स्वास्थ्य सुविधाओं, वायु गुणवत्ता, पानी की गुणवत्ता और सफाई व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है। देश के शीर्ष दस शहरों में किए गए इस सर्वे में गाजियाबाद को अंतिम चार पायदान में स्थान दिया गया है। यही वजह है कि कोरोना संक्रमण से जारी युद्ध में शहरियों को न केवल बीमारी के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा बल्कि संसाधनों के अभाव में लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। खासतौर पर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है, वायु और पानी की गुणवत्ता भी खराब है। स्वास्थ्य व्यवस्थाएं :
2011 की जनगणना के अनुसार जिले कुल की आबादी 46, 81,645 है। उस वक्त हापुड़ भी गाजियाबाद का हिस्सा था। जिले की कुल नगरीय आबादी 31,62,547 और ग्रामीण आबादी 15, 19,098 है। जिले में कुल 1265 पंजीकृत चिकित्सालय हैं। इनमें करीब 4,500 बेड हैं। इनमें से 3,262 पर कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार हो रहा है। लाखों की आबादी वाले शहर में बेडों की संख्या पांच हजार से भी कम होने के कारण कोरोना काल में मरीजों को अस्पतालों में उपचार के लिए बेड नहीं मिला, जबकि दूसरी लहर में एक दिन में 1,300 से अधिक संक्रमित मरीज एक दिन में सामने आए हैं।
वायु गुणवत्ता:
गाजियाबाद देश के प्रदूषित शहरों की सूची में रहता है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए कूड़ा जलाने वालों पर कार्रवाई, सड़कों पर पानी का छिड़काव आदि किया जाता है लेकिन इसका कोई खास असर नहीं दिखता है। पर्यावरण विज्ञानी डा. जितेंद्र नागर के मुताबिक गाजियाबाद में प्रदूषण का मुख्य कारक वाहनों से निकलने वाला धुआं है। गाजियाबाद से होते हुए दिल्ली में रोजाना लाखों की संख्या में वाहन जाते हैं। 35 से 40 फीसद प्रदूषण वाहनों से निकलने वाले धुएं से होता है। 60 फीसद प्रदूषण फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं, निर्माण कार्य सड़कों से उड़ने वाली धूल, जलाए जा रहे कूड़े से निकलने वाले धुएं के कारण होता है।
मजबूरी में पीते हैं बोतलबंद और आरओ का पानी:
शहर में वसुंधरा जोन को छोड़ दें तो बाकी चार जोन में लोगों को पीने के लिए बोतलबंद पानी या आरओ के पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है। वसुंधरा जोन में गंगाजल की आपूर्ति की जा रही है। विजयनगर जोन में भूगर्भ जल स्तर गिरकर 210 फीट नीचे पहुंच गया है। जबकि औसतन शहर में भूगर्भ जल स्तर 180 फीट है। कचरा निस्तारण की ठोस व्यवस्था नहीं :
स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 को लेकर किए गए सर्वे में गाजियाबाद नगर निगम नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने में पहले नंबर पर आया है। दूसरी तरह हाउसिग डाट काम की रिपोर्ट में सफाई व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हुए हैं। शहर में कचरा निस्तारण के पहले प्लांट नहीं बने थे। शहर से कूड़ा मोरटा में ले जाकर फेंका जाता है। हाल ही में सिहानी और इंदिरापुरम में कचरा निस्तारण के लिए प्लांट बनाए गए हैं। लेकिन विजयगनर, कविनगर और मोहन नगर जोन का कचरा अब भी मोरटा में ले जाकर डंप किया जाता है।