बोरवेल पर केंद्र से मिली राहत उत्तर प्रदेश में अटकी

शाहनवाज अली गाजियाबाद केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने सितंबर 2020 में उद्योगों को

By JagranEdited By: Publish:Sat, 03 Apr 2021 04:56 PM (IST) Updated:Sat, 03 Apr 2021 04:56 PM (IST)
बोरवेल पर केंद्र से मिली राहत उत्तर प्रदेश में अटकी
बोरवेल पर केंद्र से मिली राहत उत्तर प्रदेश में अटकी

शाहनवाज अली, गाजियाबाद

केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने सितंबर 2020 में उद्योगों को राहत देते हुए गाइडलाइन जारी की। इसमें अधिकृत व अनधिकृत क्षेत्रों में स्थापित औद्योगिक इकाइयों को 10 हजार लीटर भूजल दोहन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की जरूरत से इन्कार किया। वहीं, उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग (यूपीजीडब्ल्यूडी) की ओर से गाइडलाइन जारी करते हुए कहा कि भूगर्भ जल विभाग से अनुमति लेने के लिए बोरवेल पंजीकरण कराना होगा, लेकिन जिनके पास सीजीडब्ल्यूए की ओर से एनओसी नहीं है तो उनका पंजीकरण नहीं होगा। केंद्र व प्रदेश सरकार की गाइडलाइन लेकर एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों में असमंजस की स्थिति बनी है। औद्योगिक संगठन इसको पसोपेश में हैं। इसके लिए आला अधिकारियों से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।

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सीजीडब्ल्यूए की गाइडलाइन

केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने सितंबर 2020 को अधिसूचना जारी की थी। इसमें अधिकृत व अनधिकृत क्षेत्र में स्थापित पेयजल व दैनिक कार्य के लिए प्रतिदिन 10,000 लीटर तक औद्योगिक कार्य में भूजल का दोहन कर रही औद्योगिक इकाई को सीजीडब्ल्यूए से एनओसी लेने की बाध्यता से मुक्त किया था।

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यूपीजीडब्ल्यूडी की गाइडलाइन

उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग से अनुमति लेने के लिए बोरवेल के लिए पंजीकरण कराना होगा। जिनके पास केंद्रीय भूगर्भ जल प्राधिकरण अथवा भूगर्भ जल विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा एनओसी है। सिर्फ उन्हें प्रत्येक ब्लाक में बोरवेल के रजिस्ट्रीकरण हेतु अनुमति है। बाकी अपना पंजीकरण नहीं करा सकते। पंजीकरण के बाद ही एनओसी के लिए आवेदन कर सकते हैं।

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साल दर साल बढ़ता औद्योगिक इकाइयों का कुनबा

- वर्ष 2000 में गाजियाबाद औद्योगिक क्षेत्रों में कुल 5348 इकाइयां

- वर्ष 2010 में बढ़कर जिले में 8873 औद्योगिक इकाइयां

- मौजूदा वर्ष 2021 में करीब 16,875 औद्योगिक इकाइयां ------------------

लगातार घट रहा है जल स्तर

वर्ष ----- जल स्तर

वर्ष 2000 ---- 60 से 70 फीट

वर्ष 2005 ---- 80 से 90 फीट

वर्ष 2010 ---- 90 से 100 फीट

वर्ष 2015 ---- 100 से 110 फीट

वर्ष 2017 ---- 110 से 120 फीट

वर्ष 2019 ---- 120 से 130 फीट

वर्ष 2021 ---- 140 से 150 फीट

नोट : औद्योगिक क्षेत्र में सर्वाधिक बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में 115 फीट पर जल स्तर है। वहीं, रिहायशी इलाके में सर्वाधिक नेहरू नगर में 140, दिल्ली गेट व विजय नगर इलाके में 150 से 160 फीट तक पहुंच गया है।

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भूजल संरक्षण के लिए बना रहे समिति

औद्योगिक क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए अभी करीब 250 इकाइयों में ही हार्वेस्टिग सिस्टम का अनुपालन हो रहा है। जिला उद्योग केंद्र की ओर से जारी पत्र के बाद शुरुआत में इंडस्ट्रियल एरिया मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन बुलंदशहर रोड ने एक समिति बनाने का फैसला लिया है। इसमें वह स्थापित इकाइयों को जागरूक कर जल संरक्षण के लिए तैयार करेगी। --------------

उद्योगों में पानी की खपत

जनपद के डेढ़ दर्जन से अधिक औद्योगिक क्षेत्र विकसित हैं, जबकि एक दर्जन से अधिक अघोषित रूप से संचालित हो रहे हैं। इनमें छोटे-बड़े पंजीकृत व अपंजीकृत 25 हजार से अधिक उद्योगों में तीन लाख से अधिक कामगारों कार्यरत हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में वाटर पैकेजिग, रिफिलिग, स्लाटर हाउस, सॉफ्ट ड्रिक्स रिफिलिग, आइस फैक्ट्री समेत करीब 150 इकाइयां हैं, जहां पानी का अधिक दोहन होता है। इसके अलावा अन्य इकाइयों में कर्मचारियों के पानी पीने व दैनिक कार्य के इस्तेमाल के लिए बोरिग से पानी निकाला जा रहा है।

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आमतौर पर लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम इकाइयों में 100 से 150 कर्मचारी तक काम करते हैं। गर्मी के दिनों में प्रत्येक व्यक्ति को पेयजल के अलावा दैनिक कार्य के लिए 15 से 20 लीटर पानी की जरूरत होती है। केंद्र सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी करते हुए बोरवेल के जरिये 10 हजार लीटर बिना एनओसी पानी लेने की अनुमति दी गई। राज्य सरकार ने इसके विपरीत आदेश जारी किए। इसे लेकर उद्यमियों ने अपनी बात प्रदेश सरकार के संबंधित विभाग अधिकारियों तक रखी है।

- राजीव अरोड़ा, महासचिव इंडस्ट्रियल एरिया मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन बुलंदशहर रोड

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मिशन जल शक्ति के तहत औद्योगिक इकाइयों में रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिग के लिए औद्योगिक संगठनों को निर्देशित किया गया है। यूपीसीडा से नक्शा स्वीकृत करने के दौरान जल संरक्षण को अति आवश्यक बनाने के लिए लिखा है। केंद्र व प्रदेश सरकार की गाइडलाइन को लेकर मंडलीय उद्योग बंधु की बैठक में प्रस्ताव रखा गया, जिसे आयुक्त की ओर से गाइडलाइन में का अंतर दूर करने एवं पारदर्शिता लाने के लिए औद्योगिक अवस्थापना आयुक्त व प्रमुख सचिव लघु सिचाई को पत्र भेजा जा रहा है।

- बीरेंद्र कुमार, संयुक्त आयुक्त उद्योग

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