मोक्ष स्थली में दाह संस्कार के लिए सामग्री पहुंचा रहे राजकिशोर
जागरण संवाददाता गाजियाबाद कोरोना संकट इस बार गत वर्ष से कई गुना खतरनाक तरीके से लोगों
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद
कोरोना संकट इस बार गत वर्ष से कई गुना खतरनाक तरीके से लोगों को संक्रमित कर रहा है। अस्पतालों और होम आइसोलेशन में संक्रमितों को आक्सीजन मुहैया नहीं हो रही है। प्रतिदिन हरनंदी घाट मोक्ष स्थल पर काफी संख्या में शव पहुंच रहे हैं। ऐसे में शवों को लेकर दाह संस्कार के लिए घंटों इंतजार करने वालों के लिए पानी व दाह संस्कार के लिए उपलों व सामग्री की कमी को देखते हुए शहर के व्यापारी राजकिशोर गुप्ता ने इसके लिए इंतजाम किया है।
साल 2020 में जब कोरोना ने दस्तक दी तो पूरा देश एक साथ जहां का तहां रुक गया था, लेकिन इतने बुरे हालात उस वक्त नहीं थे। काम-धंधे पूरी तरह से बंद थे और लोग एक दूसरे की मदद के लिए हरसंभव प्रयास में जुटे थे। अपने आसपास व गरीब बस्तियों में चलकर लोगों को जरूरत का सामान मुहैया करा रहे थे। इस बार हालात बदले हैं और संक्रमण तेजी के साथ मारक स्थिति में है। सब कुछ सामान्य है और संक्रमितों की हालत बिगड़ने पर उनके परिजन चलते-फिरते शहर में अपनों की जिदगी के लिए अस्पतालों में इलाज और आक्सीजन की भीख मांग रहे हैं। हरनंदी घाट मोक्ष स्थली पर लोग अपनों के शव लेकर दाह संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं। घंटों के इंतजार के बाद उनका नंबर लग रहा है। धूप और गर्मी के बीच उनके लिए पानी की इंतजाम नहीं है। वहीं, शवों का पूरी तरह दाह संस्कार के लिए लकड़ी नाकाफी लग रही हैं। ऐसे में शहर के व्यापारी एवं सराफा राजकिशोर गुप्ता ने इस जरूरत को भांपते हुए परिवार के साथ चर्चा की। परिवार ने बात सुनकर सहमति जताते हुए सामान की सूची में दाह संस्कार के लिए सामग्री भी बढ़वा दी। मंगलवार को उन्होंने 100 पेटी पानी की बोतल, दाह संस्कार के लिए 200 बोरे उपले और कई बोरी सामग्री गाड़ियों में भरकर भिजवाई। उन्होंने बताया कि लकड़ी में शव का पूरी तरह संस्कार नहीं हो पा रहा था। कई अपन आसपास के लोगों को भी इस संकटकाल में खोया है। ऐसे में उपले मोक्ष स्थली पर नहीं हैं। लोगों को पानी के लिए इधर-उधर जाते देखा, जिसका इंतजाम किया।
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अन्य संस्थाएं भी आ रहीं आगे
हरनंदी मोक्ष स्थली पर सामग्री, उपले व शव लेकर पहुंच रहे लोगों के लिए पानी के इंतजाम कराने के बाद कई अन्य संस्थाओं ने भी ऐसा करने के लिए व्यापारी राजकिशोर गुप्ता से संपर्क किया। उनसे पूछा कि उपलों का इंतजाम कहां से हो सकता है। इसके अलावा और यहां क्या-क्या कर सकते हैं। उन्होंने इसके लिए संस्थाओं के पदाधिकारियों को इस संबंध में बताया।