समय पूर्व प्रसव मां-बच्चे के लिए खतरनाक

जागरण संवाददाता गाजियाबाद समय पूर्व प्रसव मां और बच्चा दोनों के लिए खतरनाक है। कोरोनाकाल में समय से पहले प्रसव के केस तेजी से बढ़े हैं। जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डा.संगीता गोयल का कहना है कि प्रतिमाह समय पूर्व प्रसव के चलते 22 बच्चों को नर्सरी में रखना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 08:47 PM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 08:47 PM (IST)
समय पूर्व प्रसव मां-बच्चे के लिए खतरनाक
समय पूर्व प्रसव मां-बच्चे के लिए खतरनाक

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: समय पूर्व प्रसव मां और बच्चा दोनों के लिए खतरनाक है। कोरोनाकाल में समय से पहले प्रसव के केस तेजी से बढ़े हैं। जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डा.संगीता गोयल का कहना है कि प्रतिमाह समय पूर्व प्रसव के चलते 22 बच्चों को नर्सरी में रखना पड़ रहा है। उनका कहना है कि बदलती जीवनशैली और पोषण की कमी से समय से पहले प्रसव के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में शिशु के आंतरिक अंगों का विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता है। इन बच्चों की अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है।

उन्होंने बताया कि गर्भकाल 40 सप्ताह का होता है। 37 सप्ताह या उससे पूर्व जन्मे बच्चे प्रीमेच्योर की श्रेणी में आते हैं। समय पूर्व प्रसव होने के कई कारण हैं। खान-पान की गलत आदतों के चलते संतुलित और पोषणयुक्त भोजन न लेने से एनीमिया का शिकार होने वाली गर्भवती भी इस परेशानी में आ जाती हैं। इसके लिए जरूरी है कि गर्भवती का हीमोग्लोबिन किसी भी हाल में 11 एमजी से कम न होने पाए। मोटापे की शिकार महिलाएं भी इस लिहाज से संवेदनशील होती हैं। ऐसे बच्चों को सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में रखना पड़ता है। ऐसे बच्चों को जल्दी से संक्रमण होने का खतरा रहता है। चारों बच्चों का वजन चार किलो से ऊपर हुआ : यशोदा अस्पताल में अगस्त में एक साथ जन्मे चार बच्चों का वजन अब चार किलो से ऊपर हो गया है। बाल रोग विशेषज्ञ सचिन दुबे ने बताया कि जन्म के समय एक और डेढ़ किलो इनका वजन था। समय से पहले जन्मे चारों बच्चे स्वस्थ हैं। इनमें तीन बेटे और एक बेटी शामिल हैं। एनडीआरएफ के जवान के घर चार बच्चे एक साथ आने पर बेहद खुशी हुई थी। एक महीने तक बच्चों को नर्सरी में रखा गया था।

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