चिकित्सकों ने हौसला बढ़ाया, पिता-पुत्र ने कोरोना को हराया

अभिषेक सिंह साहिबाबाद चिकित्सकों ने हौसला बढ़ाया तो राजेंद्र नगर स्थित ईएसआइसी (कर्मचारी र

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 06:51 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 06:51 PM (IST)
चिकित्सकों ने हौसला बढ़ाया, पिता-पुत्र ने कोरोना को हराया
चिकित्सकों ने हौसला बढ़ाया, पिता-पुत्र ने कोरोना को हराया

अभिषेक सिंह, साहिबाबाद: चिकित्सकों ने हौसला बढ़ाया तो राजेंद्र नगर स्थित ईएसआइसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) अस्पताल में भर्ती पिता-पुत्र ने कोरोना को हरा दिया। वे दोनों स्वस्थ होकर अस्पताल से घर लौट आए हैं और दूसरों को कोरोना से लड़ने का हौसला दे रहे हैं। लोगों से अपील कर रहे हैं कि दिमाग में कोरोना का डर न बनने दें, इसे आम बीमारी की तरह ही लें और समय पर उपचार करवाएं। जिससे की खुद भी स्वस्थ हो सकें और दूसरों को भी संक्रमित होने से बचा सकें।

राजेंद्र नगर सेक्टर-5 में रहने वाले प्रियांशु कश्यप दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर बतौर मैनेजर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित होने के लक्षण प्रतीत होने पर जून में उन्होंने अपना और अपने पिता संजीव कश्यप का कोरोना टेस्ट करवाया। जिसके बाद दोनों लोगों में कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई। उपचार के लिए दोनों लोग 26 जून को राजेंद्र नगर स्थित ईएसआइ अस्पताल में भर्ती हो गए। प्रियांशु ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों ने उनका और उनके पिता का हौसला बढ़ाया। डॉक्टरों ने उनको बताया कि कोरोना से संक्रमित मरीज जल्द ही स्वस्थ हो रहे हैं, इसके लिए जरूरी है कि मरीज अपना आत्मविश्वास कमजोर न पड़ने दें। कोरोना से लड़ने का हौसला बनाएं रखें और यह महसूस न करें कि वह किसी गंभीर बीमारी की चपेट में हैं। प्रियांश और उनके पिता ने चिकित्सकों की सलाह मानी और मानसिक रूप से मजबूत रहते हुए कोरोना को हराया। रविवार को वह दोनों स्वस्थ होकर अपने घर लौट आए हैं। अस्पताल में अच्छे से हुई देखभाल: प्रियांशु ने बताया कि ईएसआइसी अस्पताल में माहौल अच्छा है। डॉक्टर और अस्पताल में कार्यरत कर्मचारी मरीजों की अच्छे से देखभाल करते हैं। खानपान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। खास बात यह है कि उपचार के साथ ही मरीजों की काउंसलिग की जाती है और उनका हौसला बढ़ाया जाता है, जिसकी वजह से उनका आत्मविश्वास मजबूत रहता है। यही वजह है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले ज्यादातर मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं।

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