मोदीनगर की आक्सीजन बचा रही दिल्ली-एनसीआर में संक्रमितों की जान

विकास वर्मा मोदीनगर कोरोना संकट के बीच चल रही आक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए मो

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 08:27 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 08:27 PM (IST)
मोदीनगर की आक्सीजन बचा रही दिल्ली-एनसीआर में संक्रमितों की जान
मोदीनगर की आक्सीजन बचा रही दिल्ली-एनसीआर में संक्रमितों की जान

विकास वर्मा, मोदीनगर :

कोरोना संकट के बीच चल रही आक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए मोदीनगर का आइनोक्स आक्सीजन प्लांट अहम साबित हो रहा है। कोरोना मरीजों की सांसें बचाने के लिए इसी प्लांट से दिल्ली-एनसीआर के ज्यादातर अस्पतालों को आक्सीजन भेजी जा रही है। कुल 150 टन आक्सीजन की रोजाना आपूर्ति हो रही है। 24 घंटे उत्पादन हो रहा है। बढ़ती मांग को देखते हुए अब प्लांट में अन्य गैसों का उत्पादन भी बंद कर दिया गया है। निर्धारित स्थान तक टैंकर पहुंचाने के लिए एस्कॉर्ट किया जाता है। 45 मिनट में मैक्स वैशाली तक पहुंची आक्सीजन

आक्सीजन टैंकर को जल्द से जल्द अस्पताल तक पहुंचाना ही पुलिस-प्रशासन का प्रयास है, इसलिए प्रत्येक टैंकर को पुलिस टीम एस्कॉर्ट करती है। प्रत्येक चालक को यातायात पुलिस निरीक्षक का मोबाइल नंबर दिया गया है, जो प्लांट से निकलते समय उन्हें फोन करता है। फिर एस्कॉर्ट के जरिये टैंकर को अस्पताल तक भेजा जाता है। पुलिस की इन्हीं व्यवस्थाओं के चलते गुरुवार को भोजपुर से मैक्स वैशाली तक महज 45 मिनट में ही टैंकर पहुंच गया। चालक पिटू कुमार ने बताया कि पुलिस की गाड़ी टैंकर के साथ ही चलती है। कहीं भी टैंकर को नहीं रोका जाता है। इसके अलावा कहीं भी रास्ते में जाम नहीं मिलता है। वे पिछले चार दिनों से लगातार आक्सीजन अस्पताल तक पहुंचा रहे हैं। बृहस्पतिवार को ही उन्होंने दिल्ली के श्रीबालाजी मेडिकल इंस्टीट्यूट और शांतिमुकुंद अस्पताल में भी आक्सीजन पहुंचाई। उन्हें अस्पताल तक टैंकर ले जाने में सिर्फ एक घंटा लगा। इतना ही नहीं, शुक्रवार देर शाम एक टैंकर दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भी भेजा गया। इसमें उन्हें केवल 50 मिनट का ही समय लगा। रास्ते में कहीं टैंकर रोका नहीं जाता इसलिए टैंकर निर्धारित समय से भी पहले पहुंच जा रहा है।

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एक टैंकर जाते ही दूसरे की होने लगती है रिफिलिंग

इन दिनों प्लांट के बाहर आक्सीजन टैंकर की लाइन लगी रहती है। कोरोना संकट के कारण मांग बढ़ने पर कंपनी ने अन्य प्लांटों से भी यहां पर टैंकर मंगाए गए हैं। इनमें अलग-अलग क्षमता वाले टैंकर शामिल हैं। छोटे टैंकर में सात टन आक्सीजन आती है तो बड़े में 13 टन। एक टैंकर की रिफिलिंग में 30 से 35 मिनट का समय लगता है। अस्पताल के लिए रवाना करते ही दूसरा टैंकर रिफिलिंग के लिए प्लांट की पाइपलाइन से जोड़ा जाता है। जिन अस्पतालों में पाइप के जरिये आक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था है, वहीं टैंकर का इस्तेमाल किया जाता है।

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पुलिस का ग्रीन कारिडोर आ रहा काम

आक्सीजन टैंकर को समय से अस्पताल तक पहुंचाने में गाजियाबाद पुलिस का ग्रीन कारिडोर काम आ रहा है। पुलिस ने एस्कॉर्ट सुविधा को ही कारिडोर का नाम दिया है। इससे टैंकर न तो जाम में फंसता है और न ही कोई पुलिसकर्मी उसे रोकते हैं। आक्सीजन प्लांट से शुरू होकर सीधे अस्पताल पर जाकर की टैंकर रुकता है। एसपी देहात डॉ. ईरज राजा ने बताया कि ग्रीन कारिडोर से टैंकर अस्पताल तक भेजे जा रहे हैं। इसके लिए अलग से पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।

---------------- अक्टूबर से शुरू हुआ था उत्पादन

कोरोना की पहली लहर में ही आक्सीजन प्लांट बनकर तैयार हो गया था, लेकिन उस समय आक्सीजन की इतनी मारामारी नहीं थी। यह प्लांट आइनोक्स एयर प्रोडक्स प्राइवेट लिमिटेड कपंनी द्वारा बनाया गया है। जुलाई 2018 में इसका निर्माण शुरू हुआ। पिछले साल अक्टूबर से उत्पादन शुरू हो गया था।

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मुख्यमंत्री ने किया था आनलाइन उद्घाटन

यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा आक्सीजन प्लांट है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आठ अक्टूबर 2020 को इसका आनलाइन उद्घाटन किया। इस प्लांट में आक्सीजन के अलावा आर्गन व नाइट्रोजन गैस भी बनाई जाती है। प्लांट की कुल क्षमता कुल 150 टन है। इसमें 75 फीसद आक्सीजन का उत्पादन होता है। लेकिन, अब केवल आक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के अन्य प्लांट की तुलना में इस प्लांट में केवल उत्पादन ही नहीं बल्कि भंडारण क्षमता भी सबसे अधिक है।

--------- प्लांट से रोजाना 150 टन आक्सीजन की आपूर्ति हो रही है। शासनस्तर से ही इसकी मानीटरिग हो रही है। आक्सीजन की कालाबाजारी ना हो, इसको लेकर प्रशासन गंभीर है। प्रयास है कि जरूरतमंद को समय पर आक्सीजन मुहैया हो सके। इन दिनों प्लांट में आम आदमी के प्रवेश पर पूर्णत: रोक लगा दी गई है।

-आदित्य प्रजापति, एसडीएम मोदीनगर

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