नोएडा के किसानों ने पुलिस लाइन में दिया धरना, किया प्रदर्शन

जागरण संवाददाता गाजियाबाद नोएडा प्राधिकरण के गेट पर विभिन्न मांगों को लेकर पिछले करीब तीन माह से कई गांव के किसान धरनारत हैं। बुधवार आधी रात के बाद धरनास्थल से किसानों को नोएडा पुलिस ने जबरन उठाकर गाजियाबाद पुलिस लाइन में बंद कर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 09:57 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 09:57 PM (IST)
नोएडा के किसानों ने पुलिस लाइन में दिया धरना, किया प्रदर्शन
नोएडा के किसानों ने पुलिस लाइन में दिया धरना, किया प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : नोएडा प्राधिकरण के गेट पर विभिन्न मांगों को लेकर पिछले करीब तीन माह से कई गांव के किसान धरनारत हैं। बुधवार आधी रात के बाद धरनास्थल से किसानों को नोएडा पुलिस ने जबरन उठाकर गाजियाबाद पुलिस लाइन में बंद कर दिया। आक्रोशित किसानों और उनके परिजनों ने पुलिस लाइन में धरना देते हुए प्रदर्शन किया। देर शाम हिरासत में लिए गए किसानों की रिहाई के बाद धरना समाप्त हुआ।

नोएडा प्राधिकरण पर गांव सरफाबाद, गढ़ी, शाहपुर, भदौली, बिसरख, जलालपुर, सैनी, भदौली, ममूरा, असगरपुर आदि गांव के ग्रामीण विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय किसान परिषद के मुखिया सुखबीर खलीफा के नेतृत्व में धरनारत हैं। पिछले तीन माह से जारी धरने पर बैठे किसानों को नोएडा पुलिस ने बुधवार आधी रात के बाद सुखबीर मुखिया समेत करीब 70 किसानों को हिरासत में ले लिया और गाजियाबाद पुलिस लाइन में लाकर बंद कर दिया। सूचना पर सुबह नोएडा से संबंधित गांवों से किसान पुलिस लाइन पहुंच गए। महिलाओं समेत सैंकड़ों किसानों ने धरना देते हुए प्रदर्शन किया। नोएडा प्राधिकरण और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। देर शाम किसानों को रिहा करने के बाद धरना और प्रदर्शन समाप्त किया। मुख्य रूप से उद्धल सिंह, सुधीर कुमार, अशोक यादव, सुंदर पहलवान, विनोद यादव, मेंटर और ललित यादव आदि मौजूद थे।

वर्जन. सभी किसानों को पांच और 10 प्रतिशत आबादी के प्लाट, 64 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए। इसका लाभ सिर्फ चुनिदा लोगों को मिल रहा है।

-अरुण यादव, धरनारत किसान।

------- वर्ष 1976 में नोएडा बसने के बाद से 1998 तक किसानों की जमीन नोएडा प्राधिकरण ने अधिगृहित की। इसके बाद से हम सभी हक पाने के लिए संघर्षरत हैं।

-वीरेंद चौहान, धरनारत किसान।

--------- आबादी का निस्तारण करते हुए नियमित किया जाए। इसके अलावा गांव में प्राधिकरण ने जो नक्शा नीति लागू की है, उसे समाप्त किया जाए।

- बिजेंद्र सिंह, धरनारत किसान।

------------ शहर की तरह हमारे गांवों में नक्शा नीति लागू न की जाए। हम अपने घरों को खेतीहर किसान की तरह बनाते हैं। इसमें नक्शा नीति नहीं चलेगी।

- लखन शाहजी, धरनारत किसान।

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