दस पंचों की टोली के साथ प्रचार कर नेपाल ने की थी जीत हासिल

मदन पांचाल गाजियाबाद जिला पंचायत के स्थान पर जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीतने वाले अस्सी वर्षीय नेपा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 06:54 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 06:54 PM (IST)
दस पंचों की टोली के साथ प्रचार कर नेपाल ने की थी जीत हासिल
दस पंचों की टोली के साथ प्रचार कर नेपाल ने की थी जीत हासिल

मदन पांचाल, गाजियाबाद

जिला पंचायत के स्थान पर जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीतने वाले अस्सी वर्षीय नेपाल की चर्चा भी वर्तमान चुनाव में खूब हो रही है। 77 गांवों वाले वार्ड-23 का चुनाव जीतने वाले नेपाल के चुनाव पर लखनऊ एवं दिल्ली तक के दिग्गज नेताओं की नजर रही थी। रोज चुनाव माहौल की अपडेट लिया करता थे। नेपाल सिंह बताते हैं कि आसपास के दस गांवों के पंचों की टोली दिन-रात प्रचार करती थी। ग्राम प्रधानों एवं बीडीसी सदस्यों के घर जाकर खुद ही खाना बनवाने की बात कहते थे। वोटर इसी बात पर गदगद हो जाता था कि उम्मीदवार उनके घर समर्थकों समेत खाना खाने आया है। खाना खाते-खाते ही घर के बुजुर्ग वोट देने के लिए वचन दे देते थे। इतना ही नहीं जेब के हिसाब से चंदा देकर उम्मीदवार को विदा करते थे। बम्हैटा के रहने वाले 91 वर्षीय नेपाल सिंह यादव बताते हैं कि अब वह चुनाव नहीं होता। अब धन और बल का उपयोग होता है। पहले आपसी प्रेम भाव बना रहता था ।अब आपसी रंजिशों ने चुनाव का तरीका ही दुश्मनी की तरफ मोड़ दिया है। 1983 में परिषद सदस्य चुने जाने वाले नेपाल ने अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने वाले चौधरी लखीराम को भी वचन देकर वोट किया था।

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जनता ने उठाया और जनता ने ही जिताया

नेपाल सिंह बताते हैं कि चुनाव का वह दौर रोज सोते समय याद आता है। जनता ने ही उम्मीदवार बनाया और जनता ने ही जितवाया था। जेब से एक पैसा खर्च नहीं हुआ। लोगों ने इतना चंदा दिया कि खर्च निकालने के बाद भी खूब पैसा बच गया। बाद में पूरे क्षेत्र की एक दावत पर यह पैसा खर्च किया गया।

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वर्तमान चुनाव में उम्मीदवार लगा रहे हैं चक्कर

नेपाल सिंह ने बताया कि जिला पंचायत चुनाव में कई उम्मीदवार उन्हें घर से गाड़ी में बैठाकर ले जाते हैं। जगह-जगह प्रचार एवं पुराने लोगों को प्रभावित करने के लिए उनके हाथ से उन्हें सम्मानित करा रहे हैं। गांव में रोज उनके घर पर पंचायतें हो रही हैं। दरअसल पुराने दौर में 77 गांवों पर एक जिला परिषद सदस्य का चुनाव होता था। नेपाल सिंह ने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार बिरमाजीत को हराया था। नाहल, मसूरी, डासना, महरौली, सदरपुर, रईसपुर, नायफल, कुशिलया, भूड़गढी जैसे गांवों में नेपाल सिंह का भाषण सुनने वालों की भीड़ लग जाती थी।

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