विदेश में लाखों का पैकेज छोड़कर लौटे गांव, मछली पालन को बनाया व्यवसाय

रजनीश कुमार ने बताया कि वह जम्मू गुजरात मध्य प्रदेश पूर्वोत्तर के राज्यों के 200 से अधिक किसानों को मछली पालन का प्रशिक्षण दे चुके हैं। यह प्रशिक्षण वह निःशुल्क देते हैं। प्रशिक्षण के दौरान किसानों के ठहरने के लिए गांव में ही व्यवस्था की है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 01 Jul 2021 11:58 AM (IST) Updated:Thu, 01 Jul 2021 12:05 PM (IST)
विदेश में लाखों का पैकेज छोड़कर लौटे गांव, मछली पालन को बनाया व्यवसाय
रजनीश कुमार के पतला गांव स्थित तालाब से मछली निकाल कर ले जाते हुए कामगार सौजन्य: स्वयं

गाजियाबाद [हसीन शाह]। उत्तर प्रदेश के मोदीनगर के पतला गांव निवासी रजनीश कुमार इंजीनियर बन चुके थे। इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे देशों में नौकरी की। इंग्लैंड में 30 लाख के पैकेज पर अच्छी नौकरी थी, लेकिन एक भारतीय के मन में अपने देश का मोह और गांव की छांव की हूक रहती ही है। रजनीश के साथ भी वही हुआ और वह अपने गांव लौट आए। गांव में रहकर ही मछली पालन की शुरुआत की, जिसके विषय में कुछ नहीं जानते थे। आज उनका अच्छा व्यवसाय है और मछली पालन के बारे में औरों को भी निःशुल्क प्रशिक्षित कर रहे हैं।

एक पंथ दो काज: इस पहल से उन्होंने रोजगार के अवसर भी तलाशे और जल संरक्षण की दिशा में भी कदम बढ़ाया। रजनीश कुमार कहते हैं कि जब मैं इंग्लैंड से नौकरी छोड़कर आया तो सोचा था कि अब गांव में ही कुछ करूंगा, जिससे आय के साधन भी बनें और पानी की बड़ी समस्या का भी कुछ निदान हो सके। दिल्ली-एनसीआर में वैसे भी लगातार जल स्तर नीचे जा रहा है। तब मछली पालन सबसे बेहतर विकल्प नजर आया, क्योंकि इसके जरिये तालाब के माध्यम से बारिश का पानी भी संरक्षित हो जाता है। बताते हैं कि मछली पालन का अनुभव नहीं था। लिहाजा इसके लिए कई राज्यों में घूमे, प्रशिक्षण लिया। साल 2018 में 12 एकड़ में मछली पालन की शुरुआत की। अच्छा मुनाफा हुआ तो झलावा व मसूरी गांव में भी मछली पालन शुरू कर दिया। आज 100 एकड़ भूमि पर मछली पालन कर रहे हैं, देशभर में मछली आपूर्ति होती है।

कई किसानों को आत्मनिर्भर बनाया: रजनीश कुमार ने बताया कि वह जम्मू, गुजरात, मध्य प्रदेश, पूर्वोत्तर के राज्यों के 200 से अधिक किसानों को मछली पालन का प्रशिक्षण दे चुके हैं। यह प्रशिक्षण वह निःशुल्क देते हैं। प्रशिक्षण के दौरान किसानों के ठहरने के लिए गांव में ही व्यवस्था की है। खाने व रहने का मामूली शुल्क लिया जाता है। कई किसान हैं, जो प्रशिक्षण के बाद अपने यहां इसकी शुरुआत कर मुनाफा कमा रहे हैं।

पानी की टेस्टिंग व तकनीक की देते जानकारी: प्रशिक्षण के दौरान किसानों को पानी की टेस्टिंग, भोजन, मछली पालन की तकनीक आदि के बारे में बताया जाता है। कम जगह में ज्यादा मुनाफा कमाने की तकनीक भी सिखाई जाती है। रजनीश कहते हैं कि जिस तकनीक का खुद इस्तेमाल करता हूं, वही किसानों को भी सिखाता हूं।

आधुनिक तकनीक से मछली पालन: सरकार किसानों की आमदनी में इजाफा करने को परंपरागत खेती के साथ व्यावसायिक खेती के लिए उन्हें प्रेरित कर रही है। ऐसे में रजनीश ने भी कृषि भूमि पर व्यावसायिक खेती पर ध्यान दिया है। सालभर तालाब पानी से भरा रहता है। तालाब में वर्षा जल संचयन भी होता है। भूजल स्तर में सुधार हो रहा है। वह सरकार की जल संरक्षण मुहिम में सहयोग कर रहे हैं। मछली पालन विधि के बारे में वह कहते हैं कि यह इंग्लैंड की फिश फार्मिग विधि है। इसमें पानी का कम इस्तेमाल होता है। इसके अलावा बायोफ्लाक व रास तकनीक से कम से कम पानी व कम जगह पर आसानी से इस काम को किया जा रहा है। कम लागत में मुनाफा ज्यादा मिलता है।

छत्तीसगढ़ दुर्ग के गांव अंजोरा के निवासी मंजू पटेल ने बताया कि मैंने फरवरी, 2020 में रजनीश कुमार के गांव में मछली पालन का प्रशिक्षण लिया था। अब अपने गांव में साढ़े चार एकड़ तालाब में मछली पालन कर रही हूं। कोई समस्या होती है तो उनसे फोन पर बात कर लेती हूं। मेरे साथ कई कामगारों को भी काम मिल गया है।

प्रयागराज के खूझी गांव के निवासी अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि मैंने पतला गांव में तीन दिन का प्रशिक्षण लिया था। अब अपने गांव में 12 बीघा तालाब में मछली पालन कर रहा रहा हूं। धीरे-धीरे काम बढ़ने लगा है तो इसके लिए कुछ भूमि और लीज पर ले ली है। कोई परेशानी आती है तो रजनीश सर से मदद लेता हूं।

मोदीनगर के पतला के इंजीनियर रजनीश कुमार ने बताया कि जमीन से जुड़ाव था, जब विदेश में था तो अपने घर में रहकर ही कुछ करने की भावना हमेशा रहती थी। निर्णय लिया, सफलता मिली अब खुशी है कि दूसरों को भी रोजगार मिल पा रहा है।

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