अब घरों के बाहर नहीं दिखेगा आइएएस और पीसीएस अधिकारियों के नाम का बोर्ड, यूपी के इस जिले से शुरू हो रही खास योजना, जानिए अन्य डिटेल

भ्रूण हत्या को रोकने ओर बेटियों को पढ़ाने के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में जिला प्रशासन ने अनूठा प्रयास किया है। परिवार के सदस्य भले ही आइएएस आइपीएस अधिकारी ही क्यों न हों लेकिन घर की पहचान उनकी बेटियों के नाम पर होगी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 12:36 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 01:32 PM (IST)
अब घरों के बाहर नहीं दिखेगा आइएएस और पीसीएस अधिकारियों के नाम का बोर्ड, यूपी के इस जिले से शुरू हो रही खास  योजना, जानिए अन्य डिटेल
जल्द ही एक कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जाएगा।

गाजियाबाद, [अभिषेक सिंह]। भ्रूण हत्या को रोकने ओर बेटियों को पढ़ाने के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में जिला प्रशासन ने अनूठा प्रयास किया है। जिसके तहत गाजियाबाद को ऐसा जिला बनाया जाएगा, जहां परिवार के सदस्य भले ही आइएएस, आइपीएस अधिकारी ही क्यों न हों लेकिन घर की पहचान उनकी बेटियों के नाम पर होगी। घर के बाहर बेटी के नाम की नेम प्लेट लगी होगी। इसके लिए जल्द ही एक कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जाएगा।

ये है योजना

जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास चंद्र ने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल की पहल पर महिला कल्याण विभाग द्वारा शहर में सरकारी विभागों में कार्यरत उन अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची तैयार कर रहे हैं, जिनके परिवार में बेटियां हैं। बेटियों के नाम के बारे में जानकारी कर नेम प्लेट बनवाने का कार्य किया जा रहा है। नेम प्लेट पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के स्लोगन के साथ ही परिवार की बेटी का नाम अंकित होगा। इस नेम प्लेट को कार्यक्रम का आयोजन कर अधिकारियों को घर के बाहर लगाने के लिए दिया जाएगा।

स्कूल खुलने पर होंगे कार्यक्रम

फिलहाल स्कूल बंद हैं, जिस कारण स्कूलों में कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो सकता है। लेकिन स्कूल मैनेजमेंट से संपर्क कर महिला कल्याण विभाग द्वारा इस योजना पर कार्य करना जल्द शुरू किया जाएगा। जिससे स्कूलों में कार्यक्रम का आयोजन किया जा सके और वहां पर अभिभावकों को बुलाकर बेटी और बेटे के बीच किसी प्रकार का अंतर न समझने के लिए जागरूक किया जा सके।

इसलिए पड़ी जरूरत

भ्रूण हत्या पर पूरी तरह रोक नहीं लग पा रही है। गाजियाबाद में लिंग परीक्षण के केस आए दिन उजागर होते हैं। लिंग परीक्षण करने वालों ने अपना नेटवर्क गाजियाबाद से लेकर हरियाणा तक फैला रखा है। जिन पर रोक लगाने के लिए गाजियाबाद और हरियाणा के अधिकारियों की एक संयुक्त टीम भी बनाई गई है। 2011 की जनगणना के अनुसार शहर में छह साल उम्र तक की बच्चियों की संख्या 3,13,069 है। प्रति एक हजार बालक पर 850 बालिकाएं हैं।

मुख्य विकास अधिकारी का बयान

आज बेटियां किसी मामले में बेटों से कम नहीं हैं। प्रत्येक क्षेत्र में वह बेहतर कार्य कर रही हैं। ऐसे में बेटियों के नाम पर ही घर की नेम प्लेट लगाने के लिए लोगों को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत जागरूक किया जाएगा। - अस्मिता लाल, मुख्य विकास अधिकारी

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