चलती कार में आइपीएल मैच की एक-एक गेंद पर लगाते थे सट्टा, तीन गिरफ्तार

इंदिरापुरम थाना प्रभारी निरीक्षक ने बताया है कि आरोपित बहुत ही शातिर हैं। आरोपितों ने कार को ही चलता-फिरता अड्डा बना लिया था। कार में बैठकर घूमते-फिरते दांव लगवाते थे। कार चलती रहती थी इसलिए किसी को शक नहीं होता था।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 01:07 PM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 01:07 PM (IST)
चलती कार में आइपीएल मैच की एक-एक गेंद पर लगाते थे सट्टा, तीन गिरफ्तार
आइपीएल मैच में सट्टा लगाने के आरोप में गिरफ्तार

साहिबाबाद (गाजियाबाद), जागरण संवाददाता। इंदिरापुरम थाना पुलिस ने सोमवार को अभय खंड-दो से चलती कार में इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) मैच की एक-एक गेंद और रन पर दांव लगवा रहे तीन हाईटेक सटोरियों को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से मोबाइल, सट्टे की पर्ची और कार बरामद हुई है। सरगना मौके से फरार हो गया है। सरगना सहित गिरोह के एक अन्य सदस्य की पुलिस तलाश कर रही है।

इंदिरापुरम स्थित अभय खंड-दो में सोमवार को चेकिंग कर रही पुलिस ने एक कार को रुकने का इशारा किया। चालक कार मोड़कर भागने लगा। पुलिस ने घेराबंदी कर कार को पकड़ लिया। इस बीच उसमें से एक युवक कूद कर फरार हो गया। पुलिस ने कार सवार तीन युवकों को दबोच लिया। उनके कब्जे से दो आईफोन, तीन मोबाइल, सट्टा की पर्ची बरामद हुई। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और इंदिरापुरम थाना लेकर आई। उनकी पहचान हर्ष कुमार निवासी अमर विहार करावल नगर दिल्ली, कुनाल निवासी गली संख्या-सात करावल नगर दिल्ली और मोनू निवासी मुकुंद विहार करावल नगर दिल्ली के रुप में हुई। पूछताछ में उन्होंने बताया कि वह लोग आइपीएल मैच का सट्टा खिलवाते थे। मौके से भागने वाला सागर जैन निवासी जगत पुरी दिल्ली गिरोह का सरगना है।

एक-एक गेंद पर लगवाते थे दांव

पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि आरोपित क्रिकेट लाइव एप की मदद से एक-एक गेंद और रन पर दांव लगवाते थे। दिल्ली-एनसीआर के लोग सट्टा खेलते थे। गाजियाबाद का काम हर्ष के जीजा अमित चौहान निवासी अभय खंड-दो इंदिरापुरम देखते थे। वह लोग उन्हें ही पैसे देकर लौट रहे थे और पुलिस के हत्थे चढ़ गए।

कार को बनाया चलता-फिरता अड्डा

इंदिरापुरम थाना प्रभारी निरीक्षक संजीव शर्मा ने बताया है कि आरोपित बहुत ही शातिर हैं। आरोपितों ने कार को ही चलता-फिरता अड्डा बना लिया था। कार में बैठकर घूमते-फिरते दांव लगवाते थे। कार चलती रहती थी, इसलिए किसी को शक नहीं होता था। बरामद कार हर्ष के पिता की है।

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