डासना देवी मंदिर प्रकरण से ही जुड़े हैं मतांतरण के तार, नेटवर्क खंगालने पर सामने आए थे दोनों के नाम, पढ़िए पूरी कहानी
एटीएस द्वारा पकड़े गए मतांतरण के आराेपित दिल्ली निवासी जहांगीर आलम व मोहम्मद उमर की गिरफ्तारी डासना देवी मंदिर प्रकरण में पकड़े गए विपुल विजयवर्गीय कासिफ व सलीमुद्दीन से मिली जानकारी के बाद हो पाई है। नेटवर्क खंगाला था तो दिल्ली निवासी दोनों के नाम प्रकाश में आए थे।
गाजियाबाद, आशुतोष गुप्ता। एटीएस द्वारा पकड़े गए मतांतरण के आराेपित दिल्ली निवासी जहांगीर आलम व मोहम्मद उमर की गिरफ्तारी डासना देवी मंदिर प्रकरण में पकड़े गए विपुल विजयवर्गीय, कासिफ व सलीमुद्दीन से मिली जानकारी के बाद ही हो पाई है। इस प्रकरण एजेंसियां ने जब आरोपितों का नेटवर्क खंगाला था तो दिल्ली निवासी दोनों के नाम प्रकाश में आए थे। इसके बाद इन दोनों से गोपनीय रूप से पूछताछ हो रही थी। इनसे मिली सनसनीखेज जानकारी के बाद एटीएस ने पूरे मामले का पर्दाफाश कर दिया। हालांकि माना जा रहा है कि मतांतरण का यह नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है। अभी इस प्रकरण में कई गिरफ्तारी और भी हो सकती हैं।
बता दें कि मसूरी थाना क्षेत्र के डासना देवी मंदिर में दो की जून रात करीब नौ बजे दो संदिग्ध युवक घुस गए थे। एक ने बाहर पुलिसकर्मियों के पास रजिस्टर में अपनी एंट्री विपुल विजयवर्गीय नागपुर व दूसरे ने काशी गुप्ता सेक्टर 23 संजयनगर के नाम से कराई। भीतर जाने पर सेवादारों को दोनों पर शक हुआ और उन्होंने दोनों के बैग की तलाशी ली। बैग में तीन सर्जिकल ब्लेड, दवाएं, धार्मिक किताबें, लोहे के दो स्केल बरामद हुए थे।
इस मामले में मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद के करीबी अनिल यादव ने रिपोर्ट दर्ज करा, महंत की हत्या के प्रयास का आरोप लगाया था। पुलिस ने आरेापितों को जेल भेज दिया था। काशी गुप्ता का असली नाम कासिफ था। इसके बाद पुलिस ने दोनों को रिमांड पर लिया था। पूछताछ में इनके गुरु सलीमुद्दीन का नाम प्रकाश में आया था। पुलिस ने सलीमुद्दीन को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने विस्तृत पूछताछ के लिए सलीमुद्दीन को भी रिमांड पर लिया था। इस दौरान पूछताछ कर रही एजेंसियों को मतांतरण की जानकारी मिली थी। इसके बाद एटीएस ने अारोपितों के नेटवर्क खंगालने शुरू किए थे।
विपुल का भी हुआ था मतांतरण
नागपुर के रहने वाले विपुल विजयवर्गीय का मुंबई निवासी मोलाना मुंजीर ने सलीमुद्दीन से संपर्क कराया था। इसके बाद विपुल गाजियाबाद आया तो सलीमुद्दीन ने अपने यहां रहकर उसे यूनानी पद्धति से पैरामेडिकल की पढ़ाई कराई। इसके बाद सलीमुद्दीन ने विपुल का मतांतरण करा रमजान नामकरण कर उसका निकाह अपने दोस्त की बेटी यानि कासिफ की बहन आयशा से कराया। इसके बदले विपुल का नागपुर में छोटा क्लीनिक खुलवाया गया और उसे पैरों पर खड़ा किया गया।
विपुल ने शुरू करा दिया था मतांतरण
सलीमुद्दीन व उसके अन्य सहयोगियों ने विपुल विजयवर्गीय का ब्रेनवॉश कर दिया था। इसके बाद से विपुल इलाज के बहाने देश भर में घूमकर इस्लाम का प्रचार-प्रसार कर रहा था और मतांतरण के लिए लोगों से अपील कर रहा था। विपुल पूर्व में बड़ी संख्या में लोगों का मतांतरण करा चुका है।
दैनिक जागरण ने लगातार की खबरें प्रकाशित
दो जून को दोनों संदिग्धों के मंदिर में घुसने के बाद से ही दैनिक जागरण ने इस मामले की गंभीरता को समझा और साजिश का अंदेशा जताते हुए लगातार खबरें प्रकाशित की। खबरों का ही असर रहा कि पुलिस आरोपितों को रिमांड पर लेकर आई और इस मामले में देश भर की एजेंसियां पूछताछ में जुट गई।
विपुल के गिरोह का मतांतरण से जुड़ा होना, लालच देकर मतांतरण कराना, मतांतरण के पीछे देश-विदेश की फंडिंग और आरोपितों की रिमांड समाप्त होने पर जेल जाने के बाद भी आगे जारी रहेगी कार्रवाई से संबंधित खबरें दैनिक जागरण ने पूर्व में प्रकाशित कर दी थीं। दैनिक जागरण ने पूर्व में ही पर्दाफाश कर दिया था कि आरोपितों के जेल जाने के बाद एजेंसियों ने जांच तेज कर दी है। इस मामले में दैनिक जागरण की खबरें सही साबित हुई और हू-ब-हू जागरण की थ्योरी के अनुसार पर्दाफाश हुआ।