एनडीआरएफ की तैनाती में सुधाकर शिंदे ने बचाई थीं सैकड़ों जान
एनडीआरएफ के वर्तमान मीडिया प्रभारी नरेश ने बताया कि सुधाकर शिंदे सीबीआरएन ( केमिकल बायोलाजिकल रेडियोएक्टिव न्यूक्लियर ) आपदा में राहत व बचाव कार्य करने के विशेषज्ञ थे। हर ड्यूटी को वह पूरी शिद्दत से निभाते थे ।
गाजियाबाद [आयुष गंगवार]। छत्तीसगढ़ के नारायणगढ़ जिले में आइटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) कैंप के पास नक्सली हमले में शुक्रवार को शहीद हुए असिस्टेंट कमांडेंट सुधाकर शिंदे गाजियाबाद के कमला नेहरूनगर स्थित एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल) की आठवीं बटालियन में पांच साल तैनात रहे थे। वर्ष 2014-2019 तक सुधाकर शिंदे ने नेपाल में आए भूकंप, कर्नाटक में आई बाढ़, आकाशनगर और शाहबेरी में इमारत गिरने के हादसे समेत राहत व बचाव कार्य के कई अभियान के कोआर्डिनेटर (समन्वयक) की भूमिका निभाई थी। उनकी शहादत की सूचना पाकर आठवीं बटालियन के जवानों ने शोक जताया है।
मृदुभाषी और अच्छे स्वभाव के थे शिंदे
करीब आठ साल तक एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन के मीडिया प्रभारी रहे वसंत पावड़े ने बताया कि महाराष्ट्र के नांदेड़ के मूलनिवासी सुधाकर शिंदे ने 2008 में सब इंस्पेक्टर के पद पर आइटीबीपी में भर्ती हुए थे। साल 2014 में इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नत होकर वह गाजियाबाद एनडीआरएफ आए और एनडीआरएफ की आपरेशन ब्रांच (अभियान शाखा) के प्रभारी के पद पर जनवरी-2019 तक तैनात रहे। इसी समय सूबेदार मेजर के रूप में पदोन्नत होकर आइटीबीपी की 38वीं बटालियन भेजे गए और फिर असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में 45वीं बटालियन में तैनाती मिली।
उधमपुर स्थित आइटीबीपी की 15वीं बटालियन में तैनात वसंत पावड़े के मुताबिक करीब पांच साल सुधाकर शिंदे के साथ काम किया। वह मृदुभाषी और अच्छे स्वभाव के थे। आज भी एनडीआरएफ के जवान उनके व्यवहार की तारीफ करते हैं। वसंत पावड़े ने बताया कि सुधाकर शिंदे के परिवार में माता-पिता, पत्नी सुधा, बेटा कबीर और बेटी काव्या हैं। सभी सदस्य छत्तीसगढ़ में ही रह रहे हैं।
सीबीआरएन आपदा के थे विशेषज्ञ
एनडीआरएफ के वर्तमान मीडिया प्रभारी नरेश ने बताया कि सुधाकर शिंदे सीबीआरएन (केमिकल बायोलाजिकल रेडियोएक्टिव न्यूक्लियर) आपदा में राहत व बचाव कार्य करने के विशेषज्ञ थे। हर ड्यूटी को वह पूरी शिद्दत से निभाते थे। यही वजह है कि उन्होंने बहुत कम समय में सबसे मुश्किल और खतरनाक सीबीआरएन आपदा से निपटने में महारथ हासिल कर ली थी। एनडीआरएफ में आपरेशन ब्रांच के प्रभारी रहते हुए उनके किसी भी अभियान में कभी कोई खामी सामने नहीं आई।