किताब की दुकान पर बिताए छह घंटे, पकड़े गए तो बोले महंत से शास्त्रार्थ करने आए थे, पढ़िए डासना मंदिर से पकड़े गए संदिग्धों की कहानी

डासना मंदिर में नाम बदलकर बुधवार रात घुसे दोनों संदिग्ध युवक बेशक दावा कर रहे हैं कि वह मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती से शास्त्रार्थ करने के लिए आए थे लेकिन उनके हावभाव व गतिविधियां किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Fri, 04 Jun 2021 03:15 PM (IST) Updated:Fri, 04 Jun 2021 03:15 PM (IST)
किताब की दुकान पर बिताए छह घंटे, पकड़े गए तो बोले महंत से शास्त्रार्थ करने आए थे, पढ़िए डासना मंदिर से पकड़े गए संदिग्धों की कहानी
मंदिर आने से पहले कई माह से जुटा रहे थे महंत के बारे में जानकारियां।

गाजियाबाद, [आशुतोष गुप्ता]। डासना मंदिर में नाम बदलकर बुधवार रात घुसे दोनों संदिग्ध युवक बेशक दावा कर रहे हैं कि वह मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती से शास्त्रार्थ करने के लिए आए थे लेकिन उनके हावभाव व गतिविधियां किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही हैं। खुफिया विभाग के सूत्रों के मुताबिक आरोपित महंत यति के बारे में कई माह से इंटरनेट से जानकारियां जुटा रहे थे।

विपुल ने रमजान बनकर किया था आयशा से निकाह

इस मामले में विजयनगर के एक व्यक्ति की भूमिका भी संदिग्ध है। पुलिस उससे भी पूछताछ कर रही है। इस युवक ने ही विपुल विजयवर्गीय की शादी मुस्लिम रीतिरिवाज से मोहम्मद कासिफ की बहन आयशा से एक मस्जिद में कराई थी। विपुल ने शादी धर्म बदलकर की थी। आयशा से हुए निकाहनामे पर विपुल का नाम रमजान उर्फ विजयवर्गीय है। सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों युवक रात में करीब नौ बजे मंदिर में घुसे, जबकि वह गाजियाबाद शहर की एक किताब की दुकान पर छह घंटे तक वहां जाने की रणनीति बनाते रहे। मंदिर के प्रवेश द्वार पर यति नरसिंहानंद ने मुस्लिमों का मंदिर में प्रवेश वर्जित है इंगित करता हुआ बोर्ड लगा रखा है। बावजूद इसके मंदिर में इन युवकों के प्रवेश को लेकर इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है कि आरोपित किसी के मोटिवेट करने पर मंदिर परिसर में पहुंचे या उनका ब्रेन वॉश किया गया।

कासिफ ने नाम बदलकर जुटाई यति के बारे में जानकारी

खुफिया विभाग के सूत्रों के मुताबिक विपुल विजयवर्गीय काफी समय पहले विजयनगर निवासी एक मुस्लिम व्यक्ति के पास आकर रुका था। यह व्यक्ति चिकित्सा के पेशे से जुड़ा है और विजयनगर में ही उर्दू की तालीम देता है। विपुल व कासिफ की बहन ने यहां से ही पैरामेडिकल की पढ़ाई की और उर्दू की तालीम ली। सोमवार को भी विपुल इस व्यक्ति के पास जाकर रुका था। बुधवार दोपहर करीब साढ़े 12 बजे विपुल व कासिफ पुराना शहर स्थित एक किताब की दुकान पर पहुंचे। यहां से उन्होंने कुछ धार्मिक किताबें खरीदी और दुकान संचालक से यति के बारे में जानकारी ली और कहा कि आप क्या यति से हमारी मुलाकात कर सकते हैं।

आरोपितों ने खुद को दुकान संचालक के वाट्सएप ग्रुप पर भी जोड़ने के कहा। दुकान संचालक को कासिफ ने अपना नाम काशी गुप्ता ही बताया। जब दुकान संचालक के बेटे ने ट्रू-कॉलर पर चेक किया तो उसका नाम मोहम्मद कासिफ आया। इसके बाद कासिफ ने सफाई दी कि उसका नाम काशी गुप्ता ही है। यहां छह घंटे रुकने के बाद दोनों दिन ढलने के बाद करीब साढ़े छह बजे रवाना हुए। इस दौरान दोनों आरोपितों ने बताया कि उनकी महंत यति से मुलाकात होगी। इस पर दुकान संचालक ने उन्हें कुछ किताब देकर यति को भेंट करने के लिए कहा। मंदिर में आने से पहले उसने एक अधिवक्ता से भी बात की थी, अधिवक्ता से क्या बात हुई इसके लिए पुलिस अधिवक्ता से संपर्क करेगी।

इन सवालों के नहीं मिले जवाब

- मंदिर के गेट पर बोर्ड लगा है कि यहां मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है, इसके बाद भी उन्होंने मंदिर में प्रवेश क्यों किया?

- मंदिर परिसर में घुसते समय पुलिसकर्मियों ने कहा कि महंत यदि मंदिर में नहीं हैं, इसके बाद भी वह मंदिर में क्यों घुसे?

- विपुल ने रजिस्टर में अपनी एंट्री तो सही नाम से की लेकिन कासिफ का नाम काशी गुप्ता क्यों लिखा?

- 27 मई से विपुल गाजियाबाद आया हुआ था और शहर में घूम रहा था, इसके बावजूद वह दिन में मंदिर क्यों नहीं आया, उसने मंदिर में आने के लिए रात का समय ही क्यों चुना?

- छह घंटे तक वह किताब की दुकान पर क्यों रुके रहे। आखिर शाम होने का इंतजार वह क्यों कर रहे थे?

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