पढ़िए प्रदेश की नंबर-1 डासना जेल का हाल, तीन गुना कैदी, आधे सुरक्षाकर्मी और आज तक नहीं हुआ आडिट

साल-1993 में गाजियाबाद के डासना में बनी जेल को प्रदेश में नंबर एक कहा जाता है। सुरक्षा चाक-चौबंद होने के दावे भी किए जाते हैं मगर यहां सुरक्षा की बात बेमानी ही है। गाजियाबाद गौतमबुद्धनगर और हापुड़ के कैदी-बंदियों को रखने के लिए डासना में जेल बनाई गई थी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 08 Jul 2021 03:27 PM (IST) Updated:Thu, 08 Jul 2021 03:27 PM (IST)
पढ़िए प्रदेश की नंबर-1 डासना जेल का हाल, तीन गुना कैदी, आधे सुरक्षाकर्मी और आज तक नहीं हुआ आडिट
सुरक्षाकर्मियों की कमी पूरी करने के लिए पीएसी जवान और होमगार्ड लगाए गए हैं।

गाजियाबाद, आयुष गंगवार। साल-1993 में गाजियाबाद के डासना में बनी जेल को प्रदेश में नंबर एक कहा जाता है। सुरक्षा चाक-चौबंद होने के दावे भी किए जाते हैं, मगर यहां सुरक्षा की बात बेमानी ही है। गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और हापुड़ के कैदी-बंदियों को रखने के लिए डासना में जेल बनाई गई थी। 2014 में नोएडा की जेल बनने पर यहां का दबाव कुछ कम हुआ था। मगर अब फिर जेल में क्षमता के करीब तीन गुना कैदी हो गए हैं, जबकि जरूरत के लगभग आधे सुरक्षाकर्मी हैं। सुरक्षाकर्मियों की कमी पूरी करने के लिए पीएसी जवान और होमगार्ड लगाए गए हैं।

आज तक नहीं हुआ आडिट

डासना में 28 साल पहले बनी जेल में सुरक्षाकर्मी और अधिकारियों के 244 पद स्वीकृत किए गए थे। 28 साल बाद 1704 की क्षमता के सापेक्ष यहां पांच हजार से अधिक कैदी-बंदी हैं, जबकि सुरक्षाकर्मी 106 और जेल अधीक्षक समेत सात सुरक्षा अधिकारी हैं।

जेल की सुरक्षा का आज तक ठीक से आडिट नहीं हुआ। इस कारण जेल में तीन गुना कैदी-बंदी होने के बाद भी सुरक्षा इंतजाम 28 साल पुराने मानकों के भरोसे हैं। प्रदेश में जेल के नए मानक लागू हो गए हैं, जिनके मुताबिक एक हजार कैदियों के लिए 60 एकड़, दो कैदियों के लिए 80 एकड़ और तीन हजार कैदियों के लिए 100 एकड़ में जेल बनाई जा रही है। हापुड़ में इसी तरह 60 एकड़ में जेल का निर्माण प्रस्तावित है।

जिला कारागार, डासना

- तैयार हुआ- वर्ष-1993

- कुल क्षेत्रफल- 37 एकड़

- कुल बैरक- 35- कैदी

- बंदियों की क्षमता- 1704-

- वर्तमान में कुल कैदी-बंदी- 5007- महिला- 200, पुरुष-4807

सुरक्षा के संसाधन- 21 फीट ऊंची और पांच फीट चौड़ी है जेल की बाहरी दीवार।- 34 सीसीटीवी कैमरे, जो पूरी जेल का लाइव टेलीकास्ट लखनऊ मुख्यालय में करते हैं।- 2017 से जेल में जैमर सक्रिय, लैंडलाइन फोन ही काम करता है।- हैंड हेल्ट मेटल डिटेक्टर-20- डोर मेटल डिटेक्टर-02- डीप सर्च मेटल डिटेक्टर-01- पोल सर्च मेटल डिटेक्टर-01

बढ़ती रही कैदी-बंदियों की संख्या, नहीं बढ़ा स्टाफ

साल संख्या

1993 16772000 19102010 38762020 49782021 (जून) 50072014 (मई) 3260

(नोट: कासना में लुक्सर जेल बनने के बाद गौतमबुद्धनगर के कैदी-बंदी शिफ्ट कर दिए गए।)

जेल में सुरक्षाकर्मियों की स्थिति

पद स्वीकृत मौजूद रिक्त कुल बंदी रक्षक

226 106 85(नोट: स्टाफ की कमी के कारण 20 पीएसी जवान और 35 होम गार्ड जेल की सुरक्षा में तैनात हैं।)

अधिकारियों की भी कमी

पद स्वीकृत मौजूद रिक्त

डिप्टी जेलर 06 03 02(संबद्ध) 01

जेलर 01 01 00

जेल अधीक्षक 01 01 00

जेल अस्पताल की स्थिति पद स्वीकृत मौजूद रिक्त

वरिष्ठ परामर्शदाता 01 01 00

परामर्शदाता 01 01 01

फार्मासिस्ट 05 03 02

लैब टेक्नीशियन का कोई पद स्वीकृत नहीं, स्वास्थ्य विभाग से एक मिलावार्ड ब्वाय का भी कोई पद स्वीकृत नहीं, कैदी-बंदियों को प्रशिक्षण देकर चला रहे काम

जेल की बड़ी घटना

- अप्रैल-2007 में एक कैदी को डांटने से नाराज कैदियों ने जेल में उत्पात मचाते हुए कंबलों में आग लगा दी थी और फरार होने का भी प्रयास किया था। स्थिति संभालने को तत्कालीन डीएम एमकेएस सुंदरम और एसएसपी नवीन अरोड़ा को मोर्चा लेना पड़ा था।

- जून-2007 में एक बैरक में दो मोबाइल फोन मिलने के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया था।

जेल में बंद हैं आतंकी व हिंसक कैदी

- सात साल से निठारी कांड के कई मामलों में दोषी सुरेंद्र कोली यहां बंद है।- चार साल से आतंकी हमले का आरोपित अब्दुल करीम टुंडा डासना जेल में है।

- 13 साल से वाराणसी में बम धमाके का आरोपित वली उल्लाह को यहां रखा गया है।

हापुड़ में जेल बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। फिर वहां के कैदी भी शिफ्ट हो जाएंगे। 14 साल से जेल में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। जेल में कैदी-बंदियों की लगातार बढ़ रही संख्या और स्टाफ की कमी के बारे में शासन को पत्र भी लिखा है।

- आलोक सिंह जिला कारागार, डासना, गाजियाबाद।

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