कोरोना महामारी के बीच आपदाओं से निपट रहे एनडीआरएफ जवान, बचा रहे लोगों की जान

आठवीं बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी ने बताया कि एनडीआरएफ का गठन ही आपदा से निपटने के उद्देश्य के लिए किया गया था। इसलिए हमें पूरे संसाधनों के साथ अपना बचाव करते हुए जवान राहत व बचाव कार्य कर रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 26 May 2021 01:55 PM (IST) Updated:Wed, 26 May 2021 01:55 PM (IST)
कोरोना महामारी के बीच आपदाओं से निपट रहे एनडीआरएफ जवान, बचा रहे लोगों की जान
खुद को खतरे में डालकर आपदा में फंसे लोगों को बचाने में जुटे जवान

गाजियाबाद [आयुष गंगवार]। कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरा देश जूझ रहा है। कोरोना वायरस के साथ फंगस का संक्रमण भी बढ़ रहा है, जिससे बचने के लिए चिकित्सक धूल, मिट्टी, नमी और गंदगी से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं। लोग अपने बचाव के लिए घर में कैद हैं, मगर एनडीआरएफ के जवान ऐसे हालात में भी अपनी जान खतरे में डालकर दूसरी प्राकृतिक आपदाओं से निपट रहे हैं।

फरवरी में उत्तराखंड में बादल फटने के बाद चमोली और तपोवन में भारी तबाही हुई थी। गाजियाबाद के कमला नेहरूनगर स्थित एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन की पांच टीमों (175 जवान) ने दो माह तक दिन-रात मलबा हटाकर लोगों को बचाया और जान गंवाने वालों के शव खोजकर उनके स्वजन को सौंपे।

एनडीआरएफ की एक टीम आज भी चमोली में जुटी हुई है। मार्च में उत्तराखंड के जंगलों में आग लगनी शुरू हो गई। पर्यावरण के साथ इंसान और वन्य जीवों को बचाने के लिए एक बार फिर आठवीं बटालियन की चार टीम (120 जवान) उत्तराखंड पहुंचे और आग बुझाई। बीते दिनों देवप्रयाग में भी बादल फट गए, जिसके बाद यहां एक टीम पहुंचे और युद्धस्तर पर राहत व बचाव का कार्य एक दिन में पूरा कर लिया।

यास की पूरी है तैयारी

बीते दिनों अरब सागर से उठे चक्रवात टाक्टे के तबाही मचाने के बाद देश की अलग-अलग बटालियन से एनडीआरएफ जवानों की 65 से अधिक टीमों ने अपनी जान जोखिम में डालकर राहत व बचाव कार्य किया। आठवीं बटालियन की भी पांच टीम तैयार थीं। अब बंगाल की खाड़ी से एक और तूफान यास उठ रहा है, जिससे उत्तराखंड में भारी नुकसान हो सकता है। टाक्टे के लिए तैयार टीमों को अब इस तूफान के लिए रिजर्व कर लिया गया है।

बता दें कि बीते साल, जब कोरोना महामारी आई थी तब भी एनडीआरएफ जवान इस महामारी से भी लड़े थे। एनडीआरएफ महीनों तक शहर को सैनिटाइज करने में जुटी रही। इतना ही नहीं एनडीआरएफ को मिला राशन, जूस, मास्क, सैनिटाइजर में से बचत कर हजारों जरूरतमंदों को मदद की।

कोरोना से बचने को दिए संसाधन

कोरोना का संक्रमण फिर से फैल रहा है। इस बार अधिक लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। मगर प्राकृतिक आपदाओं के चलते एनडीआरएफ जवान घर पर नहीं रुक सकते। इसीलिए कोरोना वायरस के संक्रमण से जवानों को बचाने के लिए एनडीआरएफ ने यूनिफार्म में फेस शील्ड व ग्लव्स समेत अन्य संसाधन भी शामिल किए हैं।

आठवीं बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी ने बताया कि एनडीआरएफ का गठन ही आपदा से निपटने के उद्देश्य के लिए किया गया था। इसलिए हमें पूरे संसाधनों के साथ अपना बचाव करते हुए जवान राहत व बचाव कार्य कर रहे हैं।

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