सात वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म व हत्या के मामले में आजीवन कारावास, कोर्ट ने 1.50 लाख का जुर्माना भी लगाया

गाजियाबाद में विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट-3 ईश्वर सिंह की अदालत ने सात वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 06:25 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 06:25 PM (IST)
सात वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म व हत्या के मामले में आजीवन कारावास, कोर्ट ने  1.50 लाख का जुर्माना भी लगाया
गाजियाबाद विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट-3 की अदालत ने सुनाया फैसला। प्रतीकात्मक तस्वीर।

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट-3 ईश्वर सिंह की अदालत ने सात वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही उस पर 1.50 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया। जुर्माना राशि में से 50 फीसद मृतका के स्वजन को दिए जाने के आदेश भी अदालत ने दिए हैं। विशेष लोक अभियोजक पाक्सो एक्ट सतीश शर्मा ने बताया कि सात वर्षीय बच्ची नंदग्राम के एक मोहल्ले में परिवार के साथ रहती थी।

25 अक्टूबर 2014 को नंदग्राम का ही रहने वाले सुबोध पीड़िता को सामान दिलाने का झांसा देकर अपने घर ले गया। यहां उसने पहले बच्ची से दुष्कर्म किया। इसके बाद चाकू से गोदकर उसकी हत्या कर दी। देर रात तक बच्ची घर नहीं पहुंची तो स्वजन ने उसकी तलाश शुरू की। कालोनी के लोगों ने बताया कि बच्ची को सुबोध के साथ देखा था। इस पर स्वजन सुबोध के घर पहुंचे। वहां ताला लगा मिला। उन्होंने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने ताले की चाबी बनवाने वाले को बुलवाकर चाबी बनवाई।

इसके बाद ताला खोलकर अंदर दाखिल हुई। वहां बच्ची का शव पड़ा हुआ था। इस मामले में स्वजन की शिकायत पर पुलिस ने दुष्कर्म व हत्या की एफआइआर दर्ज की थी। घटना के कुछ दिन बाद सुबोध को नंदग्राम से ही गिरफ्तार किया। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट की अदालत में चल रही थी। अभियोजन की तरफ से कुल आठ गवाह पेश किए गए। गवाहों के बयान व पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने सुबोध को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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