राकेश टिकैत और नरेश टिकैत की अपील भी बेअसर, जानिये- अब यूपी गेट पर क्यों सड़ रहा है आलू
Rakesh Tikait Naresh Tikait भारतीय किसान यूनियन की मासिक पंचायत में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत की मौजूदगी भी इसमें इजाफा नहीं कर सकी। प्रदर्शनकारियों के लिए यहां भंड़ारगृह में रखे आलू व अन्य सामान भी खराब होने लगा है।
नई दिल्ली/गाजियाबाद। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर नाराज पंजाब, हरियाणा और यूपी समेत कई राज्यों के किसान 28 नवंबर से दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न बॉर्डर पर बैठे हैं। वह लगातार दावा कर रहे हैं कि कुछ भी हो जाए वह तीनों कानूनों को पूरी तरह से वापस लिए जाने से पहले धरना-प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे। यही वजह है कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन और धारा-144 लगाने के बावजूद किसान प्रदर्शनकारी अपना धरना खत्म करने या फिर स्थगित करने के लिए तैयार नहीं है। वहीं, प्रदर्शनकारियों के लिए यहां भंड़ारगृह में रखे आलू व अन्य सामान भी खराब होने लगा है।
यूपी गेट पर खराब हो रहा है सामान
किसान संगठन लगातार यह कहते रहे हैं कि वे कई महीनों की तैयारी के साथ दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन के लिए बैठे हैं। सामान भी उन्होंने इसके लिए खूब जुटाया हुआ है, लेकिन अब यह खराब होने लगा है। यहां पर अब गिनती भर के किसान प्रदर्शनकारी बचे हैं। दरअसल, तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में धरना-प्रदर्शन करीब पांच माह से जारी है। एक वक्त वह भी आया था कि राशन जितना आ रहा था वह कई भंड़ारों में दो से तीन दिन भी नहीं चल पाता था। वक्त के साथ धरने पर प्रदर्शनकारियों की तादाद में भी कमी आती गई।
नहीं चल रहा है नेताओं का जादू
आज यह आलम है कि मंच के सामने और धरने पर शारीरिक दूरी का पालन कर बैठाने के बावजूद यह भर नहीं पा रहा है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में यूपी गेट पर चल रहा धरना प्रदर्शन बेहद फीका हो गया है।
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यूपी गेट पर सड़ रहा आलू तो सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर दूध-सब्जी की आपूर्ति घटी
इसके अलावा, तीनों केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों जारी आंदोलन में शामिल लोगों के लिए जरूरी चीजों की आपूर्ति घट गई है। गर्मी के साथ ही कई चीजों की किल्लत हो रही है। दूध, सब्जी और अन्य चीजों की आपूर्ति अब बेहद कम है। गांवों से मदद पहुंचाने के लिए जो ट्रैक्टर-ट्राली लेकर लोग पहुंचते थे, वे अब खेतों के कार्य में जुटे हैं। कई अन्य संगठन जो लंगर चला रहे थे, वहां भी अब चूल्हे ठंडे हैं।
राकेश टिकैत की अपील भी बेअसर
वहीं, घटती भीड़ के मद्देनजर भाकियू नेता राकेश टिकैत के साथ संयुक्त मोर्चा के नेता भी दोबारा से प्रदर्शनकारियों को दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचने का आह्वान कर रहे हैं। साथ ही हरियाणा और यूपी सरकार व पुलिस-प्रशासन के रुख पर भी बारीकी से नजर टिकाए हुए हैं।
फीका पड़ा नरेश टिकैत का भी जादू
भारतीय किसान यूनियन की मासिक पंचायत में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत की मौजूदगी भी इसमें इजाफा नहीं कर सकी। प्रदर्शनकारियों के लिए यहां भंड़ारगृह में रखे आलू व अन्य सामान भी खराब होने लगा है। यहां लगे अधिकांश टेंट खाली हैं और चहल-पहल सूनेपन में तब्दील हो चुकी है। भले ही इसके पीछे पंचायत चुनाव और फसल कटाई को वजह बताया जा रहा हो, लेकिन फिलहाल यूपी गेट बेरौनक है।
प्रदर्शन के चलते रफ्तार पकड़ सकता है संक्रमण
तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच में भारी संख्या में बार्डरों पर बैठे प्रदर्शनकारियोंकी वजह से कोरोना और ज्यादा तेजी से फैल सकता है। यहां पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के प्रदर्शनकारी बैठे हैं। प्रतिदिन धरनास्थल के पास से काफी संख्या में लोग पैदल गुजरते हैं। प्रदर्शनकारी खुद तो कोरोना की चपेट में आएंगे ही, साथ ही दूसरों की जान को भी जोखिम में डाल सकते हैं।
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कोरोना का टेस्ट तक करवाने को राजी नहीं हैं किसान प्रदर्शनकारी
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शामिल किसानों की ओर से कोरोना टेस्ट न करवाने और न ही वैक्सीन लगवाने का मामला अब तूल पकड़ रहा है। स्थानीय पुलिस-प्रशासन की अपील के बावजूद किसान इसके लिए तैयार नहीं हैं। कुछ किसान कह रहे हैं कि वे अपने राज्यों में कोरोना का पहली टीका लगवाकर आएं हैं तो कुछ किसानों ने सीधे तौर पर मना कर दिया कि वे वैक्सीन नहीं लगवाएंगे।