जानिए मोबाइल टावरों से चोरी होने वाले सामानों की क्या होती है चोर बाजार में कीमत, कहां तक फैला है बाजार

मोबाइल टावरों से माडम चोरी कर नेटवर्क कार्ड चीन को सप्लाई करने वाला गिरोह एक चेन के रूप में काम कर रहा था। गिरोह में सभी सदस्यों की अलग-अलग जिम्मेदारियां बंटी हुई थी। माडम चोरी होने के बाद इसकी पहली बिक्री चार से पांच हजार रुपये से शुरु होती थी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 08 Jul 2021 01:26 PM (IST) Updated:Thu, 08 Jul 2021 01:26 PM (IST)
जानिए मोबाइल टावरों से चोरी होने वाले सामानों की क्या होती है चोर बाजार में कीमत, कहां तक फैला है बाजार
गिरोह में सभी सदस्यों की अलग-अलग जिम्मेदारियां बंटी हुई थी।

गाजियाबाद, [आशुतोष गुप्ता]। लोनी पुलिस की गिरफ्त में आए मोबाइल टावरों से माडम चोरी कर नेटवर्क कार्ड चीन को सप्लाई करने वाला गिरोह एक चेन के रूप में काम कर रहा था। गिरोह में सभी सदस्यों की अलग-अलग जिम्मेदारियां बंटी हुई थी। माडम चोरी होने के बाद इसकी पहली बिक्री चार से पांच हजार रुपये से शुरु होती थी और बाद में लाखों रुपये में सौदा होता था। एसपी देहात डॉ. ईरज राजा ने बताया कि दरअसल मोबाइल टावर से माडम चोरी करने के बाद चोर इसे छोटे कबाड़ी लोनी के मुहम्मद सरफराज, कदीम को चार से पांच हजार रुपये में बेचते थे।

मोबाइल टावरों से माडम टोरी

कदीम व सरफराज इस माडम को 10 से 12 हजार की कीमत में दिल्ली में इलेक्ट्रानिक कबाड़ का बड़ा काम करने वाले जहांगीर आलम को बेच देते थे। जहांगीर आलम के गोदाम में इस माडम की असेंबली को तोड़ा जाता था। इसमें से इलेक्ट्रानिक सामान मदर बोर्ड, सर्किट, नेटवर्क कार्ड अलग-अलग एकत्र किया जाता था। माडम में से करीब पांच किलो एल्यूमीनियम, तांबा व कुछ मिलीग्राम सोना निकालकर उसे अलग बेचा जाता था।

इसके साथ ही जहांगीर आलम कबाडि़यों से कंप्यूटर व मोबाइल भी एकत्र कर उनके रैम व मदर बोर्ड निकालकर एकत्र करता था। यह सभी सामान वह दिल्ली में मोबाइल का काम करने वाले सौरभ गुप्ता को बेचता था। यहां उसे एक नेटवर्क कार्ड की कीमत 1.90 लाख और माडम की कीमत साढ़े तीन लाख मिलती थी। सौरभ सभी सामानों को अलग-अलग एकत्र कर उन्हें कोरियर के माध्यम से चीन भेज देता था। पकड़े गए आरोपितों में कोई भी 10वीं से अधिक पढ़ा-लिखा नहीं है।

एक टावर से कार्ड चोरी होने पर पांच हजार लोग होते थे परेशान

पुलिस ने बताया कि जिओ कंपनी के अधिकारी जब पुलिस के संपर्क में आए तो उन्होंने बताया कि उनके ग्राहक टावर से माडम व नेटवर्क कार्ड चोरी होने के कारण बहुत दुखी हैं। एक मोबाइल टावर से करीब पांच हजार लोग जुड़े होते हैं। कार्ड चोरी होने के बाद सभी के मोबाइल फोन ठप हो जाते थे। जब तक टावर में नई डिवाइस नहीं लग जाती थी, तब तक सभी के फोन ठप रहते थे। न तो वह कॉल कर पाते थे और न ही इंटरनेट इस्तेमाल कर पाते थे।

एनसीआर में 200 से अधिक टावरों से हुई चोरी

दिल्ली एनसीआर में गिरोह 200 से अधिक मोबाइल टावरों में चोरी कर चुका है। गाजियाबाद में 38 एफआइआर हुई है। गाजियाबाद में लोनी, इंदिरापुरम, नंदग्राम, साहिबाबाद, ट्रानिका सिटी, खोड़ा समेत अन्य थाना क्षेत्रों में टावरों से चोरी हुई। इसके साथ ही पुलिस की जानकारी में विभिन्न जिलों व थानों में कई तहरीर संज्ञान में आई हैं। इन सभी पर काम चल रहा है। पुलिस का कहना है कि इस तरह के अन्य गिरोह भी हो सकते हैं, इनकी तलाश की जा रही है।

दो करोड़ से अधिक की हुई बरामदगी

पुलिस ने आरोपितों के पास से पांच एलसीसी (लाइन चैनल कार्ड), 12 एलएमडी (लाइन माड्यूल डिवाइस), 65 जिओ प्लेट, 14 ढक्कन, 145 टेलीकाम कार्ड व 105 मोबाइल फोन बरामद किए हैं।

हवाला की तरह से चलता था काम

चीन और भारत में बैठे हुए गिरोह के सदस्य हवाला के जरिये आपसी लेनदेन को अंजाम देते थे। इनके बीच पैसों का लेनदेन नहीं होता था। भारत में बैठे गिरोह के सदस्य चीन को कोरियर के माध्यम से सामान सप्लाई करते थे। इसके बाद उस सामान की एक्सचेंज वैल्यू तय की जाती थी। उस कीमत का सामान चीन में बैठे सदस्य भारत में सप्लाई कर देते थे।

डब्ल्यूवी चैट के माध्यम से होती थी आपस में बातचीत

पकड़े गए आरोपितों की चीन में बैठे साथियों से डब्ल्यूवी चैट के जरिये आपस में बातचीत होती थी। इस एप को आसानी से ट्रेस नहीं किया जा सकता। हालांकि यह एप भारत में बैन हो चुकी है लेकिन आरोपितों के मोबाइल में यह काफी समय पूर्व से डाउनलोड थी। एक विशेष नेटवर्क के जरिये आरोपितों ने इसे अपने मोबाइल में एक्टिव कर लिया था।

15 बार चीन गया था जहांगीर आलम

जहांगीर आलम दो साल पहले 15 बार चीन के अलग-अलग शहरों में होकर आया है। पुलिस को उसके चीन जाने के साक्ष्य मिले हैं। वह चीन में जाकर अपना कारोबार जमाकर आया था। इसके साथ ही पिछले करीब तीन माह में ही जहांगीर आलम व सौरभ अग्रवाल के बीच पुलिस को 60 लाख रुपये के लेनदेन का पता चला है। पुलिस अभी इनके बैंक खातों को खंगाल रही है।

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