कोर्ट की पुलिस को फटकार, कहा- हर हाल में सब-इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर पेश करें

विशेष लोक अभियोजक संजीव बखरवा ने बताया कि अदालत ने चेतावनी दी है कि अगर अगली तारीख पर सब-इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर साक्ष्य के लिए पेश नहीं किया जाता है तो अदालत द्वारा जरूरी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वेतन रोकने का भी आदेश जारी हुआ है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Tue, 09 Mar 2021 05:54 PM (IST) Updated:Tue, 09 Mar 2021 05:54 PM (IST)
कोर्ट की पुलिस को फटकार, कहा- हर हाल में सब-इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर पेश करें
मुरादनगर थाने के वर्ष 2016 के मामले में गवाही के पेश नहीं हो रहे हैं सब-इंस्पेक्टर

गाजियाबाद [विवेक त्यागी]।  आदेश के बावजूद सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद सरताज को गिरफ्तार कर पेश न किए जाने पर विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट-2 रवींद्र प्रसाद गुप्ता की अदालत ने सख्त रुख अख्तियार किया है। गौतमबुद्धनगर के पुलिस कमिश्नर को आदेश जारी कर अदालत ने अगली सुनवाई 16 मार्च को हर हाल में सब-इंस्पेक्टर को पेश करने व लगाए गए जुर्माने की धनराशि गाजियाबाद विधिक सेवा प्राधिकरण के खाते में जमा कर रसीद प्रस्तुत करने की बात कही है।

अगली तारीख पर हो सकती है सख्त कार्रवाई

विशेष लोक अभियोजक संजीव बखरवा ने बताया कि अदालत ने चेतावनी दी है कि अगर अगली तारीख पर सब-इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर साक्ष्य के लिए पेश नहीं किया जाता है तो अदालत द्वारा जरूरी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साक्ष्य की कार्रवाई पूरी न होने तक सब-इंस्पेक्टर का वेतन रोकने के आदेश भी अदालत ने दिए हैं।

यह था मामला

विशेष लोक अभियोजक संजीव बखरवा ने बताया कि वर्ष 2016 में गाजियाबाद के मुरादनगर थानाक्षेत्र मेंं एक नाबालिग बच्ची से छेड़छाड़ व जान से मारने की धमकी देने का मामला सामने आया था। बच्ची के स्वजन की शिकायत पर पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर आरोपित मोहित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद सरताज उस वक्त गाजियाबाद में तैनात थे और मामले के विवेचक थे। कुछ समय पूर्व उनका तबादला गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट में हुआ। फिलहाल वह वहीं तैनात हैं। अदालत ने उन्हें गवाही के लिए समन जारी किए थे लेकिन वह पेश नहीं हुए। इसके बाद गत 11 फरवरी को अदालत ने मोहम्मद सरताज को गिरफ्तार कर पेश करने के आदेश देते हुए एक हजार रुपये जुर्माना लगाया गया था। अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद सब-इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर साक्ष्य के लिए पेश नहीं किया गया। इसे अदालत ने अत्यंत खेद जनक मानते आदेश का स्पष्ट उल्लंघन माना।

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