स्वंतत्रता सेनानी एक्सप्रेस ट्रेन में मिले 1.4 करोड़ रुपयों पर गाजियाबाद की कंपनी ने किया दावा

Swatantra Senani Express Train गाजियाबाद की टेलीकाम सेक्टर में सर्विस देने वाली कंपनी बी4एस साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (B4S Solution Private Limited) ने राजकीय पुलिस बल (जीआरपी) कानपुर सेंट्रल स्टेशन के अधिकारियों को पत्र भेजकर रकम पर दावा किया है।

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 12:58 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 12:58 PM (IST)
स्वंतत्रता सेनानी एक्सप्रेस ट्रेन में मिले 1.4 करोड़ रुपयों पर गाजियाबाद की कंपनी ने किया दावा
अभी तक कंपनी ने कैश को लेकर कोई साक्ष्य पेश नहीं किया है।

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। स्वंतत्रता सेनानी एक्सप्रेस ट्रेन के पेंट्री कार में रखे सूटकेस से 16 फरवरी को बरामद 1.40 करोड़ रुपये का दावेदार सामने आ गया है। गाजियाबाद की टेलीकाम सेक्टर में सर्विस देने वाली कंपनी बी4एस साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड ने राजकीय पुलिस बल (जीआरपी) कानपुर सेंट्रल स्टेशन के अधिकारियों को पत्र भेजकर रकम पर दावा किया है। उसने कहा है कि लखनऊ स्थित अपने ऑफिस के कर्मचारियों का वेतन बांटने के लिए रुपये भेजे थे। जीआरपी ने 28 फरवरी को पत्र मिलने के बाद आयकर विभाग को इसकी जानकारी दी। आयकर विभाग अब सवाल-जवाब की तैयारी कर रहा है। बताया जा रहा है कि पूरी तरह पुष्टि होने पर ही इतनी बड़ी रकम वापस लौटाई जाएगी, क्योंकि दावेदारों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर आयकर विभाग को डर है कि कहीं असली दावेदार पिछड़े न जाए और गलत हाथ में यह रकम लग जाए। ऐसे में विभाग अतिरिक्त सावधानी भी बरत रहा है।

कोई साक्ष्य पेश नहीं किया

जागरण संवाददाता से मिली जानकारी के मुताबिक, फिलहाल यह राशि इतनी आसानी से कंपनी के हाथ में नहीं आने वाली है। कंपनी को इसके लिए आयकर विभाग के पास तमाम साक्ष्य पेश करने होंगे, जबकि अभी तक कंपनी ने कैश को लेकर कोई साक्ष्य पेश नहीं किया है।

वहीं, कंपनी के सीए योगेश कंसल का कहना है कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। इधर, कानपुर संवाददाता के अनुसार ट्रेन में 1.4 करोड़ रुपये मिलने के 10 दिन बाद तक कोई दावेदार सामने नहीं आया था। अब गाजियाबाद की कंपनी ने जीआरपी को पत्र भेजा कि यह धन उसका है। आयकर विभाग को पता चला कि इसका लखनऊ में ऑफिस व पूर्वी उप्र में कई ब्रांच हैं।

उठेंगे सवाल आखिर इतनी बड़ी धनराशि उन्होंने लावारिस की तरह क्यों भेजी?  अब 17 दिनों बाद इसका दावा क्यों किया गया?  क्या रुपये सही जगह न पहुंचने पर कोई एफआइआर दर्ज कराई थी?

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