UP Conversion Case: मतांतरण के खेल में कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों द्वारा फंडिंग का अंदेशा

UP Conversion Case मतांतरण के खेल में कश्मीर में सक्रिय कुछ आतंकी संगठनों द्वारा फंडिग का अंदेशा जताया जा रहा है। इन संगठनों द्वारा देश भर में चलाए जा रहे एक ट्रस्ट के माध्यम से फंडिंग किए जाने का अंदेशा है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Thu, 01 Jul 2021 08:44 AM (IST) Updated:Thu, 01 Jul 2021 08:44 AM (IST)
UP Conversion Case: मतांतरण के खेल में कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों द्वारा फंडिंग का अंदेशा
UP Conversion Case: मतांतरण के खेल में कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों द्वारा फंडिंग का अंदेशा

गाजियाबाद [आशुतोष गुप्ता]। मसूरी के डासना देवी मंदिर में दो जून की रात घुसे दो संदिग्धों विपुल विजयवर्गीय उर्फ रमजान व कासिफ और इन्हें मंदिर में भेजने वाले सलीमुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद पकड़ में आए मतांतरण कराने वाले गिरोह के बाद मामले में लगातार अहम जानकारी निकलकर सामने आ रही हैं। सुरक्षा एजेंसियां लगातार इस नेटवर्क को तोड़कर गिरोह के सदस्यों पर पकड़ मजबूत कर रही हैं। मतांतरण के खेल में कश्मीर में सक्रिय कुछ आतंकी संगठनों द्वारा फंडिग का अंदेशा जताया जा रहा है। इन संगठनों द्वारा देश भर में चलाए जा रहे एक ट्रस्ट के माध्यम से फंडिंग किए जाने का अंदेशा है। सुरक्षा एजेंसियों ने इस ¨बदू पर भी जांच शुरू कर नेटवर्क खंगालना शुरू कर दिया है। नागपुर के जिस कट्टरपंथी संगठन के लिए विपुल विजयवर्गीय काम कर रहा था, वह संगठन भी जांच के घेरे में है।

दरअसल, जम्मू-कश्मीर में जुलाई 1972 में एक संगठन का गठन हुआ था। पुलवामा में सुरक्षा बलों पर हमले के बाद इस संगठन के कुछ लोगों का नाम प्रकाश में आया था। इसके बाद संगठन व संगठन द्वारा संचालित ट्रस्ट के स्कूलों पर जम्मू-कश्मीर में पाबंदी लगा दी गई थी। कश्मीर में इसके सभी दफ्तरों को बंद कर दिया गया था। पिछले साल अक्टूबर में आतंकवादियों को धन मुहैया कराने के मामले में सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर और दिल्ली में बड़े पैमाने पर तमाम एनजीओ और ट्रस्ट के दफ्तरों पर छापा डाला था। इसमें यह ट्रस्ट भी शामिल था। ये तमाम ट्रस्ट और एनजीओ आतंकवादियों के लिए विभिन्न तरीके से धन जुटाने में लगे हुए थे। अब देश भर में चल रहे मतांतरण के खेल में भी इस संगठन द्वारा बड़े स्तर पर फं¨डग का अंदेशा जताया जा रहा है।

गड़बड़ी करने पर सलीमुद्दीन को हटाया गया था पद से

विजयनगर में पैरामेडिकल का इंस्टीट्यूट चलाने वाला सलीमुद्दीन पूर्व में एक कट्टरपंथी संगठन से जुड़ा हुआ है। इस संगठन में उसके पास जिला सदर (प्रभारी) का पद था। पद पर रहते हुए सलीमुद्दीन पर संगठन के खातों में वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगा था। इसके बाद वर्ष 2017 में उसे संगठन के पद से हटा दिया गया था। इसके बाद से वह संगठन में सक्रिय तो है लेकिन उसके पास कोई पद नहीं है। सलीमुद्दीन अपने विजयनगर स्थित इंस्टीट्यूट से पैरामेडिकल की पढ़ाई के नाम पर छात्रों का मतांतरण करा रहा था। उसने ही विपुल विजयवर्गीय को पैरामेडिकल व उर्दू की तालीम दी और उसका मतांतरण कराने के बाद उसका निकाह कासिफ की बहन आयशा से कराया था। सलीमुद्दीन से हुई पूछताछ और उससे बरामद हुए डाटा के आधार पर ही एटीएस ने मतांतरण कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया।

गिरोह के कई सदस्य एजेंसियों के रडार पर

मतांतरण के खेल में गिरोह के पांच सदस्यों की गिरफ्तारी अभी तक यूपी एटीएस (एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड) द्वारा की जा चुकी है। गिरफ्तार हुए सदस्यों से एटीएस को लगातार महत्वपूर्ण जानकारियां मिल रही हैं। इन जानकारियों के आधार पर एटीएस गिरोह के अन्य सदस्यों पर भी शिकंजा कस रही है। एजेंसियों के रडार पर अभी गिरोह के कई अन्य सदस्य हैं, जिनपर एजेंसियां जल्द पकड़ बना सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में ही कई लोगों की गिरफ्तारी हो सकती हैं।

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