देशभर के करोड़ों पॉलिसी धारक जरूर पढ़ें यह खबर, एक गलती से हो सकता है बड़ा नुकसान
पॉलिसी लैप्स हो जाए तो कस्टमर एग्जेक्यूटिव के रूप में कॉल करने वालों के झांसे में बिल्कुल नहीं आएं। बीमा कंपनी की शाखा में जा कर या अधिकृत वेबसाइट से पहले पॉलिसी का स्टेटस चेक करें और भुगतान कंपनी के खाते में ही करें।
गाजियाबाद [आयुष गंगवार]। प्रीमियम की रकम का भुगतान नहीं होने पर पॉलिसी लैप्स हो जाए तो कस्टमर एग्जेक्यूटिव के रूप में कॉल करने वालों के झांसे में बिल्कुल नहीं आएं। बीमा कंपनी की शाखा में जा कर या अधिकृत वेबसाइट से पहले पॉलिसी का स्टेटस चेक करें और भुगतान कंपनी के खाते में ही करें। यह कहना है कि सीओ साइबर सेल अभय कुमार मिश्र का, जिनकी टीम ने 17 दिसंबर को कौशांबी के अंसल प्लाजा में चल रहे फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़ कर नौ आरोपितों को गिरफ्तार किया था। जिले में बीते दो साल में ऐसे छह कॉल सेंटर पकड़े जा चुके हैं। पुलिस इनका संचालन करने वाले करीब 100 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
बेच दिया जाता है डाटा
सीओ ने बताया कि बीमा कंपनियां कस्टमर सर्विस का काम दूसरी कंपनियों से कराती हैं। अभी तक पकड़े गए कॉल सेंटर चलाने वालों से पूछताछ में यही पता चला है कि कॉल सेंटरों में काम करने वाले लोग जॉब छोड़ते समय या काम करते हुए ही पॉलिसी कराने वालों का डाटा बल्क में बेच देते हैं। इसका फायदा उठाकर ठग पॉलिसी धारक को फोन करते हैं। पॉलिसी नंबर समेत अन्य निजी जानकारी ठग के बताने पर लोग भरोसा कर इनके बताए खातों में पैसे डाल देते हैं। आरोपित पॉलिसी रिन्यू कराने ही नहीं, बल्कि मैच्योरिटी से पहले ही इसके फायदे दिलाने का भी झांसा देते हैं, इसीलिए जरूरी है कि किसी के कॉल करने पर झांसे में नहीं आएं। तय प्रक्रिया के तहत ही अपने प्रीमियम का भुगतान करें।
देते हैं ये झांसे
बरतें सावधानी
लगातार हो रही ठगी
अभय कुमार मिश्र )सीओ, साइबर सेल) का कहना है कि नई पॉलिसी लेन पालिसी को रिन्यू कराने के लिए आई काल का विश्वास कभी न करें। यदि आनलाइन चेक नहीं कर सकते तो बीमा कंपनी की शाखा में संपर्क करें।
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