16 साल बाद हुआ सेना के जवान का अंतिम संस्कार, पत्नी व बेटी भी हुईं शामिल, पढ़िए लापता होने और मिलने की कहानी

उत्तराखंड के हर्षिल में 16 साल बाद बर्फ में दबे मिले लांस नायक अमरीश त्यागी का शव मंगलवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा तो उनके अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। तमाम राजनीतिक सामाजिक व पुलिस प्रशासनिक अधिकारी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 06:12 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 06:12 PM (IST)
16 साल बाद हुआ सेना के जवान का अंतिम संस्कार, पत्नी व बेटी भी हुईं शामिल, पढ़िए लापता होने और मिलने की कहानी
जवान के भतीजे दीपक ने दी मुखाग्नि, उमड़ा जनसैलाब।

मुरादनगर, जागरण संवाददाता। उत्तराखंड के हर्षिल में 16 साल बाद बर्फ में दबे मिले लांस नायक अमरीश त्यागी का शव मंगलवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा तो उनके अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। तमाम राजनीतिक, सामाजिक व पुलिस प्रशासनिक अधिकारी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। पार्थिव शरीर को मुखाग्नि अमरीश के भतीजे दीपक ने दी। अंतिम दर्शन के लिए उनकी पत्नी व बेटी भी पहुंची। सुबह करीब साढ़े नौ बजे बिहार रेजिमेंट के जवान अमरीश त्यागी के पार्थिव शरीर को लेकर गंगनहर पर पहुंचे। यहां पहले से ही उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए हजारों की भीड़ एकत्र थी। फूल मालाओं से लादकर उनको नमन किया गया। हाईवे से होती अंतिम यात्रा करीब एक घंटे में उनके पैतृक गांव हिसाली पहुंची।

यहां गांव के अंत्येष्टि स्थल में उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि उनके अमरीश त्यागी के भतीजे ने दी। चारों तरफ भारत माता की जय, जब तक सूरज चांद रहेगा अमरीश तेरा नाम रहे सरीखे नारे सुनने को को मिल रहे थे। उनकी अंतिम यात्रा में विधायक अजीतपाल त्यागी, ब्लाक प्रमुख राजीव त्यागी, जिला पंचायत सदस्य अमित त्यागी, जेडीयू नेता केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी, जिला पंचायत सदस्य पति विकास यादव, सपा के वरिष्ठ नेता श्रवण त्यागी, नितिन त्यागी के अलावा एसडीएम आदित्य प्रजापति, एसओ मुरादनगर सतीश कुमार समेत तमाम राजनीतिक, सामाजिक लोग मौजूद रहे।


23 को हुए थे लापता उसी तारीख को मिला पार्थिव शरीर

लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षदीप गहलौत ने बताया कि 23 सितंबर 2005 में उत्तराखंड के आर्डनेंस कोर एक दल सतोपंथ चोटी के आरोहण के लिए गया था। इसी दल में लांस नायक अमरीश त्यागी भी शामिल थे। वे 1996 में सेना में भर्ती हुए थे। आरोहण के दौरान चोटी से उतरते समय पूरा दल लापता हो गया। इसमें तीन जवानों के पार्थिव शरीर कुछ समय बाद मिल गए थे। लेकिन अमरीश का पार्थिव शरीर नहीं मिल सकता था।

एक साल बाद सेना की ओर से अमरीश को मृत घोषित कर दिया गया। अब 23 सितंबर को खोदाई के दौरान अमरीश का पार्थिव शरीर उत्तराखंड के ही हर्षिल में बर्फ में दबा लिया। बेल्ट, नेम प्लेट आदि से उनकी प्राथमिक पहचान हो गई। इसके बाद रिकार्ड खंगालने पर अमरीश के पार्थिव शरीर की पूरी पुष्टि हो गई। इसी के चलते उनके पार्थिव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में लाया गया।

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