कोरोना से ज्यादा कैंसर और टीबी से हुई मौत : आनंदीबेन पटेल

जागरण संवाददाता साहिबाबाद अभी कोविड 19 आया हम बहुत डर गए। कोविड से जितने लोग मरे

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 08:24 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 08:24 PM (IST)
कोरोना से ज्यादा कैंसर और टीबी से हुई मौत : आनंदीबेन पटेल
कोरोना से ज्यादा कैंसर और टीबी से हुई मौत : आनंदीबेन पटेल

जागरण संवाददाता, साहिबाबाद : अभी कोविड 19 आया, हम बहुत डर गए। कोविड से जितने लोग मरे हैं, उससे ज्यादा एक साल में टीबी व कैंसर से मौत हुई है। कोविड का आंकड़ा रोज आता था लेकिन टीबी व कैंसर से मरने वालों का आंकड़ा नहीं आता है। टीबी व कैंसर की दवाई बहुत महंगी है। इसी वजह से प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत योजना की शुरूआत की। प्रत्येक गरीब परिवार को पांच लाख रुपये के इलाज के लिए गोल्डन कार्ड मिल रहा है। हम सब मिलकर 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बना सकते हैं। ये बातें प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आइटीएस कालेज में टीबी से पीड़ित बच्चों को गोद लेने वाले लोगों को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर हमने 72 टीबी पीड़ित बच्चों को गोद लिया था। प्रदेश के सभी डीएम व सीडीओ एक-एक बच्चे को गोद लें। यूपी एक ऐसा प्रदेश है, जहां 50 हजार से ज्यादा कालेज हैं। एक कालेज एक गांव को गोद ले लेता है तो एक भी बच्चा टीबी से पीड़ित नहीं बचेगा। इसमें छात्रों को भी जुड़ना चाहिए। आंगनबाड़ी में गरीब बच्चे जाते हैं। आंगनबाड़ी में बच्चों को पौष्टिक भोजन, व्यायाम और शिक्षा मिलती है। एकेटीयू के संबद्ध कालेज ने 510 आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया है।

महिलाओं का काम केवल बच्चे पैदा करना नहीं

राज्यपाल ने कहा कि पांच से 10 साल पहले स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने काम शुरू किया होगा। इससे स्थिति में फर्क आया होगा। पहले घर से महिलाओं को बाहर नहीं निकलने दिया जाता था। चर्चा होती थी कि महिलाओं का बाहर काम क्या है? उनका काम तो बच्चे पैदा करना, उन्हें बड़ा करना और रसोई में भोजन बनाना है। महिलाओं यही काम नहीं हैं। अब महिलाएं स्वयं सहायता समूह में काम कर अपना कारोबार कर रही हैं। आज महिलाओं को लाखों-लाखों रुपये के चेक मिले हैं। काम करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से पैसा मिलता है। फायदा केवल पैसे कमाने का नहीं हुआ, बल्कि महिलाओं का परिवार और समाज में सम्मान बढ़ा है। जब मैं पहली बार गुजरात की शिक्षामंत्री बनी तो 50 फीसद बेटियां घर में बैठी थीं। हमने गांव-गांव जाकर प्रेरित किया। आज 100 फीसदी बेटियां पढ़ रही हैं।

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